सरकारी मीडिया 'केसीएनए' की खबर के अनुसार किम को उम्मीद थी कि परमाणु कार्यक्रमों को लेकर अमेरिका के प्रतिबंधों को हटाने की उनकी कूटनीति काम आएगी, लेकिन वह रुकी पड़ी है। वहीं कोविड-19 महामारी के कारण सीमाएं बंद होने और प्राकृतिक आपदा में फसल बर्बाद होने की वजह से संकट के दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था और बेहाल हुई है। खबर के अनुसार किम के 9 साल के कार्यकाल में यह सबसे मुश्किल दौर है।
मौजूदा चुनौतियों के कारण किम को सार्वजनिक रूप से पूर्व की आर्थिक योजनाओं की असफलता को स्वीकार करना पड़ा। जनवरी में 'वर्कर्स पार्टी कांग्रेस' की बैठक में पंचवर्षीय आर्थिक योजना पेश की गई थी लेकिन गुरुवार को पार्टी की सेंट्रल कमेटी की बैठक में अब तक क्रियान्वित योजनाओं को लेकर किम की निराशा साफ तौर पर झलकी।