विदिशा मैत्रा ने 'दारा आदमखेल' से की थी इमरान के UN में दिए भाषण की तुलना, जानिए कौनसी है जगह?

रविवार, 29 सितम्बर 2019 (00:47 IST)
संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के भाषण पर भारत ने करारा जवाब दिया। भारतीय ‍विदेश मंत्रालय की सचिव विदिशा मैत्रा (Vidisha Maitri) ने कहा कि इमरान खान जो कि कभी क्रिकेटर थे और इस 'जेंटलमैन' खेल पर विश्वास करते थे, उनका भाषण असभ्यता की चरम सीमा तक पहुंच गया है, जो कि एकदम दारा आदमखेल की बंदूकों के जैसा है। भारत ने पाकिस्तान को दारा आदमखल की याद दिलाई। आखिर कौनसी जगह है दारा आदमखेल?
 
पाकिस्तान के पेशावर से दक्षिण की ओर 35 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ियों से घिरा कस्बा है दारा आदमखेल। यह पूरी दुनिया में खतरनाक हथियारों की कालाबाजारी के लिए जाना जाता है। यहां विदेशों से काफी कीमत पर हथियार बेचे जाते हैं। दुनियाभर में सबसे महंगी राइफलों में से एक क्लाशिनिकोव राइफल दारा आदमखेल में बनाई जाती है, जो कि काफी कीमत में मिल जाती है।
 
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आतंक की फैक्टरी के लिए यहीं से हथियार मुहैया करवाए जाते हैं। न सिर्फ हथियारों की कालाबाजारी के लिए बल्कि तस्करी, ड्रग्स के धंधे के साथ ही यहां पर कार चोरी से लेकर विश्वविद्यालय की फेक डिग्रियां तक बनाई जाती जाती हैं। 1980 में शुरू हुआ यह बाजार तब चर्चित हुआ, जब मुजाहिदीनों ने अफगानिस्तान में सोवियत संघ से लड़ने के लिए यहां से हथियार खरीदना शुरू किया।
 
इसके बाद दारा आदमखेल पर पाकिस्तानी तालिबान का कब्जा हुआ और वह यहां पर अपना कानून चलाने लगा। नवाज शरीफ की सरकार आने के बाद से यहां पर कुछ सख्ती की गई जिससे हथियार बनाने की अवैध धंधे में लगे लोग गुस्से में आ गए, लेकिन खबरों के अनुसार आज भी यहां अवैध हथियारों की बिक्री होती है।
इमरान को दिलाई नियाजी की याद : विदिशा मैत्रा ने कहा कि इमरान खान अपने झूठ से मानवाधिकार का चैंपियन बनना चाहते हैं जबकि सचाई यह है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है। मैत्रा ने कहा कि पीएम इमरान खान नियाजी को यह नहीं भूलना चाहिए कि 1971 में पाकिस्तान ने अपने ही लोगों पर अत्याचार किए थे और इसी वजह से बांग्लादेश की स्थापना की गई थी।
 
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गौरतलब है कि इमरान के नाम से जुड़ा नियाजी उपनाम पाकिस्तानियों को 1971 के युद्ध में भारत के हाथों शर्मनाक हार की याद ताजा कराता है। पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी ने ही बांग्लादेश बनने से पहले पूर्वी पाकिस्तान में रहने वाले लोगों पर जुल्म किया था। नियाजी आतंक का पर्याय बन गए थे।
 
आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी ने भारतीय सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने 16 दिसंबर 1971 को 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों के साथ सरेंडर किया था। पाकिस्तान में नियाजी पख्तून हैं, जो अफगानिस्तान और पाकिस्तान के सटे हुए हिस्सों में रहते हैं जबकि आमिर अब्दुल्ला नियाजी और इमरान खान नियाजी दोनों लाहौर में पैदा हुए, लेकिन उनके नाम के साथ नियाजी लगाते हैं।

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