उन्होंने कहा, ‘एक लड़की और एक बुजुर्ग व्यक्ति, एक पाकिस्तानी और दूसरा भारतीय, एक मुस्लिम और दूसरा हिंदू, दोनों उस गहरी एकजुटता के प्रतीक हैं, जिसकी दुनिया को जरूरत है। देशों के बीच भाईचारा..।’ सत्यार्थी (60) ने इक्लेट्रिकल इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर बाल अधिकार के क्षेत्र में काम करना आरंभ किया और वह ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ नामक गैर सरकारी संगठन का संचालन करते हैं।