मार्क जुकरबर्ग से पूछें सवाल, दिल्ली में मिलेंगे जवाब...

शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2015 (13:09 IST)
वॉशिंगटन। फेसबुक संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भारतीयों से जुड़ने के लिए इस महीने के अंत में IIT दिल्ली में टाउनहॉल प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन करेंगे। उन्होंने भारतीयों को सोशल मीडिया पर सबसे सक्रिय और जुड़ाव वाला समुदाय बताया है।
 
जुकरबर्ग ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा है, ‘भारत में 13 करोड़ से ज्यादा लोग फेसबुक इस्तेमाल करते हैं। हमारे सबसे सक्रिय और जुड़ाव वाले समुदायों में से एक को सीधे सुनने की उम्मीद कर रहा हूं।’ पोस्ट में उन्होंने कहा है कि 28 अक्टूबर को दिल्ली में अपने अगले टाउनहॉल सवाल और जवाब सत्र का आयोजन करेंगे।
 
जुकरबर्ग ने कहा, ‘अगर आपके पास कोई सवाल है तो कृपया कमेंट में नीचे पूछिये। एक सवाल के लिए वोट करिए। मैं फेसबुक के सवालों के साथ ही भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में लाइव ऑडियंस के सवालों का जवाब दूंगा।’ 
 
टाउनहॉल प्रश्नोत्तर सत्र एक अनौपचारिक बैठक होती है, जिसमें लोग सार्वजनिक शख्सियत या उससे जुड़ी चीजों के बारे में अपनी राय रखते हैं या सवाल पूछते हैं। पिछले महीने पालो अल्टो में जुकरबर्ग ने टाउनहॉल प्रश्नोत्तर सत्र के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी की थी।
 
जुकरबर्ग ने 27 सितंबर को फेसबुक मुख्यालय में कहा था, ‘निजी तौर पर यहां हमारी कंपनी के इतिहास के लिए भी भारत बहुत महत्वपूर्ण है। यह ऐसी कहानी है जिसे मैंने सार्वजनिक तौर पर नहीं कहा और कुछ ही लोगों को पता है।’ 
उन्होंने कहा, ‘चीजें ठीक होने से पहले हमारे शुरुआती इतिहास में हम सोच विचार में थे और बहुत सारे लोग फेसबुक खरीदना चाहते थे और विचार था कि हमें कंपनी बेच देनी चाहिए। मैं अपने मार्गदर्शकों में से एक स्टीव जॉब्स के पास गया और उन्होंने मुझसे कहा कि मैं कंपनी को लेकर मिशन के बारे में जो सोचता हूं, उससे फिर से जुड़ जाऊं। मुझे इस मंदिर में जाना चाहिए, जहां वह चिंतन मंथन के उन दिनों में गए थे जब वह इस उहापोह में थे कि एप्पल से वह क्या चाहते हैं और भविष्य को लेकर उनका क्या नजरिया रहना चाहिए।’
 
जुकरबर्ग ने कहा था, ‘तब मैं गया और करीब एक महीने तक घूमा, लोगों को देखा। यह देखा कि लोग कैसे एक-दूसरे से जुड़े हैं। यह महसूस करने का मौका मिला कि हर किसी के जुड़ाव की बेहतर क्षमता हो तो दुनिया कितनी बेहतर हो सकती है। जो हम कर रहे थे उसे लेकर मुझमें फिर ताकत आ गई। और यही बात है जिसे मैंने फेसबुक बनाने के दौरान पिछले दस वर्षों से अधिक समय तक हमेशा याद रखा।’ (भाषा)

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