असमंजस में नेतन्याहू, एक ओर बंधकों की रिहाई की चुनौती तो दूसरी ओर युद्ध खत्म करने का दबाव

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

मंगलवार, 30 जनवरी 2024 (19:28 IST)
लॉस एंजिलिस। हमास-इजराइल युद्ध (Hamas-Israel War) को 4 महीने पूरे होने वाले हैं, ऐसे में कुछ इजराइली गाजा पट्टी से शेष 136 बंधकों को छुड़ाने में इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) और उनकी सरकार की विफलता को लेकर लगातार आक्रोश प्रकट कर रहे हैं। इजराइली प्रदर्शनकारियों ने नेतन्याहू के इस्तीफे की मांग की है जबकि बंधक बनाए गए लोगों के परिवारों के दर्जनों सदस्यों ने 22 जनवरी 2024 को इजराइली संसद पर धावा बोल दिया और बंधकों की रिहाई के लिए समझौता करने की मांग की।
 
'द कन्वरसेशन' ने इजराइल में जनता की नब्ज को बेहतर ढंग से समझने के लिए इजराइली राजनीति और इजराइल-फलसतीन विवाद के जानकार डोव वैक्समैन से बात की। साथ ही वैक्समैन से यह जानने की भी कोशिश की कि वह और कुछ अन्य जानकार यह क्यों कह रहे हैं कि नेतन्याहू युद्ध खत्म नहीं करना चाहते।
 
युद्ध को लेकर इजराइली जनता की राय कैसे बदल रही है?
 
युद्ध के पहले 3 महीनों में इजराइलियों विशेष रूप से यहूदी इजराइलियों ने युद्ध और हमास को हराने व नष्ट करने के सरकार के घोषित लक्ष्य का पुरजोर समर्थन किया था। वह सर्वसम्मति और एकता तेजी से कमजोर हो रही है। नेतन्याहू का कहना है कि युद्ध जारी रखना बंधकों को रिहा कराने का सबसे अच्छा तरीका है, लेकिन बंधकों के परिवारों समेत अनेक इजराइली यह तर्क दे रहे हैं कि युद्ध जारी रहने से हर गुजरते दिन के साथ बंधकों का जीवन अधिक खतरे में पड़ रहा है।

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इस बारे में भी संदेह बढ़ रहा है कि क्या इजराइल वास्तव में हमास को निर्णायक रूप से पराजित और खत्म कर सकता है। युद्ध के 3 महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी हमास खत्म नहीं हुआ है और इजराइल पर रॉकेट हमले कर रहा है। इजराइल हमास के मध्य स्तर के कमांडरों को मार चुका है, लेकिन हमास के नेता अभी भी जीवित हैं और लड़ने में सक्षम हैं।
 
आपने कहा है कि नेतन्याहू युद्ध खत्म नहीं करना चाहते, ऐसा क्यों लगता है?
 
नेतन्याहू इजराइल में व्यापक रूप से अलोकप्रिय हैं। नेतन्याहू के कुछ दक्षिणपंथी समर्थकों समेत कई इजराइली उन्हें उन सिलसिलेवार विफलताओं के लिए जिम्मेदार मानते हैं जिसके परिणामस्वरूप 7 अक्टूबर, 2023 को हमास ने बड़े पैमाने पर घुसपैठ करके भयानक हमला किया था।
 
अपने घरेलू समर्थन को बरकरार रखने के लिए, नेतन्याहू की एकमात्र आशा युद्ध जारी रखना और हमास पर संपूर्ण जीत हासिल करने का प्रयास करना है जिसका वह वादा कर रहे हैं। यदि वह युद्ध जीतने और बंधकों की रिहाई में विफल रहते हैं तो उनकी लिकुड पार्टी के अगले चुनाव हारने की संभावना है और वह सत्ता से बाहर हो जाएंगे।

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इस राजनीतिक दबाव ने युद्ध के प्रति नेतन्याहू की प्रतिक्रिया को कैसे प्रभावित किया है?
 
नेतन्याहू को अपनी गठबंधन सरकार को एकजुट रखने और चुनाव से बचने के लिए अपनी सरकार में धुर दक्षिणपंथी और अति-रूढ़िवादी दलों को खुश करना होगा। अति-रूढ़िवादी पार्टियों को खुश करने के लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके मतदाताओं को सरकारी सब्सिडी और कल्याणकारी लाभ प्रदान किए जाएं जिन पर वे निर्भर हैं। साथ ही दूसरे इजराइली यहूदियों के विपरीत उन्हें इजराइली सेना में सेवा करने की आवश्यकता न हो और इजराइल में धार्मिक यशास्थिति भी बनी रहे।
 
धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों को खुश करने के लिए वेस्ट बैंक में इजराइली निवासियों का समर्थन करना, वहां बस्तियों का विस्तार करना और ऐसी किसी भी चीज को रोकना है जिससे फलस्तीनी प्राधिकरण मजबूत हो, क्योंकि धुर-दक्षिणपंथी फलस्तीनी प्राधिकरण से छुटकारा पाना चाहते हैं।
 
अपने धुर दक्षिणपंथी सहयोगियों को सरकार में बनाए रखने के लिए, नेतन्याहू को युद्ध के बाद किसी ऐसी योजना को रोकना होगा जिससे फलस्तीनी प्राधिकरण का गाजा पर नियंत्रण होने की संभावना हो। केवल युद्ध के बाद के गाजा के भविष्य पर चर्चा करना नेतन्याहू के लिए विश्वासघाती कदम होगा, क्योंकि धुर दक्षिणपंथी इजराइल से वहां यहूदी बस्तियों को पुन: स्थापित करने का आह्वान कर रहे हैं। हालांकि दूसरी ओर अमेरिकी बाइडन प्रशासन गाजा में किसी भी दीर्घकालिक इजराइली उपस्थिति का विरोध करता है और चाहता है कि क्षेत्र का नियंत्रण पुनर्गठित और पुनर्जीवित फलस्तीनी प्राधिकरण के पास रहे।
 
युद्ध के संबंध में अधिकांश इजराइली किस चीज पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं?
 
अधिकांश इजराइली यहूदियों का ध्यान बंधकों के भाग्य और इजराइली सैनिकों के हताहत होने पर है । इजराइली मीडिया कवरेज पर ये विमर्श हावी है। बंधकों के परिवारों ने यह सुनिश्चित किया है कि उनकी दुर्दशा को भुलाया न जाए। नवंबर में रिहा हुए कुछ बंधक कैद में अपने दुखद अनुभवों को भूल नहीं पा रहे हैं, इससे जनता का ध्यान अब भी गाजा में बंधकों पर केंद्रित है।
 
गाजा में इजराइली सैनिकों की मौतों से भी लोगों का ध्यान नहीं हटा है। युद्ध शुरू होने के बाद से 23 जनवरी इजराइली सेना के लिए सबसे घातक दिन था जब 24 सैनिक मारे गए थे। अधिकांश इजराइली यहूदियों ने सेना में सेवा की है, और अधिकांश के परिवार के सदस्य या मित्र फिलहाल सेवाएं दे रहे हैं इसलिए वे सेना से बहुत जुड़े हुए हैं, और सैनिकों की मौतें इजराइली समाज में बहुत शक्तिशाली भूकंप की तरह हैं।
 
अधिकांश इजराइली जिस चीज पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं वह गाजा में फलस्तीनी नागरिकों की पीड़ा है। कई लोगों को यह भी पता नहीं है कि गाजा में फलसतीनियों के साथ क्या हो रहा है, क्योंकि इसे इजराइली मीडिया में बहुत कम कवरेज मिलता है।
 
नेतन्याहू फिलहाल असमंजस की स्थिति का सामना कर रहे हैं। एक ओर जहां उन पर बंधकों को छुड़ाने का दबाव है तो दूसरी ओर युद्ध खत्म करने की चुनौती है। ऐसे में आने वाला समय नेतन्याहू के लिए और भी चुनौती भरा हो सकता है, जिनसे पार पाना उनके लिए आसान नहीं होगा।(द कन्वरसेशन/भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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