राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने बुधवार को चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की। हान ने कहा कि चीन और भारत को द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर विकास की पटरी पर लाने के लिए धीरे-धीरे संस्थागत वार्ता के साथ-साथ अर्थव्यवस्था, व्यापार और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में आदान-प्रदान और सहयोग बहाल करना चाहिए।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे डोभाल पांच साल के अंतराल के बाद 23वें दौर की विशेष प्रतिनिधि वार्ता में हिस्सा लेने के लिए मंगलवार को यहां पहुंचे। पिछली बैठक 2019 में दिल्ली में हुई थी।
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के अनुसार, बैठक के दौरान उपराष्ट्रपति हान ने कहा कि चीन और भारत प्राचीन सभ्यताओं और उभरती प्रमुख शक्तियों के रूप में स्वतंत्रता, एकजुटता और सहयोग पर कायम हैं, जिसका वैश्विक प्रभाव और रणनीतिक महत्व है।
हान ने उल्लेख किया कि अगले वर्ष चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ होगी। हान ने कहा कि दोनों पक्षों को दोनों देशों के नेताओं द्वारा बनी महत्वपूर्ण सहमति की दिशा में काम करना चाहिए, उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की गति को बनाए रखते हुए राजनीतिक आपसी विश्वास को विकसित करना चाहिए। धीरे-धीरे संस्थागत संवाद और अर्थव्यवस्था, व्यापार और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ाना चाहिए, ताकि द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर विकास पथ पर वापस लाया जा सके।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, डोभाल ने कहा कि पांच साल के बाद सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों के बीच बैठक की बहाली दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमति को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए इसका बहुत महत्व है।
डोभाल के हवाले से कहा गया कि भारत, चीन के साथ रणनीतिक संवाद को मजबूत करने, पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग का विस्तार करने तथा द्विपक्षीय संबंधों के विकास में नयी गति लाने का इच्छुक है।
विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द को लेकर चर्चा करेंगे तथा सीमा संबंधी सवालों का निष्पक्ष, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान तलाशेंगे, जैसा कि कज़ान में दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की बैठक के दौरान सहमति बनी थी।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ और उसके बाद उसी वर्ष जून में गलवान घाटी में भीषण झड़प हुई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया। 21 अक्टूबर को हुए समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद गतिरोध प्रभावी रूप से समाप्त हो गया। दोनों देशों के बीच संबंधों को बहाल करने की दिशा में विशेष प्रतिनिधियों की बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इनपुट भाषा