उन्होंने कहा कि यदि कोई देश एनएसजी का सदस्य बनना चाहता है तो उसके लिए परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य है। यह नियम चीन ने नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बनाया है। वान ने चेतावनी दी कि यदि यहां या फिर एनपीटी के सवाल पर अपवादों को अनुमति दी जाती है तो अंतरराष्ट्रीय अप्रसार एकसाथ ढह जाएगा।
जब उनसे बीजिंग द्वारा भारत की सदस्यता की राह में रोड़े अटकाने की खबरों के बारे में पूछा गया तो चीन के प्रमुख वार्ताकार ने कहा कि एनएसजी अब तक एजेंडे में एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों की भागीदारी से जुड़े किसी भी मुद्दे पर सहमत नहीं हुआ है इसलिए चीन द्वारा भारत की सदस्यता का समर्थन या विरोध करने का सवाल ही नहीं उठता।