ट्रंप क्यों नहीं चाहते Apple अपने प्रोडक्ट भारत में बनाए?

smart phone company Apple: सबसे मंहगे स्मार्ट फ़ोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी ऐपल (Apple) का बनाया कोई आइफ़ोन (iPhone) हाथ में होना, प्रतिष्ठा और समृद्धि का प्रतीक बन गया है। यह कंपनी वैसे तो एक दशक से अधिक समय से भारत में भी अपने आइफ़ोन बेच रही है, पर 2017 से आइफ़ोन के कुछ सस्ते मॉडल भारत में ही बनने भी लगे।
 
इस बीच ऐपल के कुछेक अपेक्षाकृत मंहगे आइफ़ोन भी भारत में बनने और बिकने लगे हैं। भारतीय ग्राहकों के लिए इस साल सितंबर में आइफ़ोन 17 पेश होने वाला है। तब तक ऐपल के तमिलनाडु के होसुर में स्थित कारखाने में हो रहे उत्पदन को बढ़ाते हुए प्रतिदिन एक लाख फ़ोन असेम्बल किए जाएंगे। 
 
अमेरिका में बिके आधे आइफ़ोन भारत में बने होंगे : ऐपल के मुखिया टिम कुक ने हाल ही में घोषणा की कि वे चाहते हैं कि उनके अमेरिकी ग्राहकों के हाथों में जो आइफ़ोन होते हैं, उनके पिछले भाग पर हमेशा 'असेम्बल्ड इन चाइना' ही नहीं, 'असेम्बल्ड इन इंडिया' भी लिखा होना चाहिए। अब न केवल चीन ही अमेरिकी बाजार के लिए ऐपल के आइफ़ोनों की आपूर्ति करेगा, बल्कि भारत भी करेगा। कुक ने कहा कि चालू तिमाही में अमेरिका में बेचे गए आधे से अधिक आईफ़ोन भारत से आए होंगे। लेकिन, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को टिम कुक की यह योजना बिल्कुल पसंद नहीं आ रही। ALSO READ: Apple और Samsung को डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी, टैरिफ की धमकी के बाद क्या भारत में निर्माण बंद करेंगी कंपनियां
 
कुक की इस घोषणा के समय राष्ट्रपति ट्रम्प फ़ारस की खाड़ी वाले देशों की यात्रा कर रहे थे। क़तर में अपने प्रवास के समय उन्होंने कहा कि अपने मित्र टिम कुक को वे पहले ही बता चुके हैं कि उन्हें यह पसंद नहीं है कि वे भारत में एक के बाद एक नया कारखाना खोल रहे हैं। ट्रम्प को यह भी पसंद नहीं था कि ऐपल के 80 प्रतिशत फ़ोन चीन से आया करते हैं। ट्रम्प को संतुष्ट करने के लिए टिम कुक को कुछ समय पूर्व कहना पड़ा था कि उनकी कंपनी अमेरिका में भी निवेश करेगी, वहां भी अपना उत्पादन बढ़ाएगी। 
 
ट्रम्प चाहते हैं, सब कुछ अमेरिका में बने : तथ्य यह भी है कि ऐपल कंपनी अपने आइफ़ोन न केवल भारत में, बल्कि उसके कुछ मॉडल वियतनाम में भी बनाना और दुनिया भर में बेचना चाहती है। समय के साथ केवल फ़ोन ही नहीं, अपितु अमेरिकी बाजार के लिए लगभग सभी आईपैड, मैकिंटोश कंप्यूटर, ऐपल घड़ियां और एयरपॉड हेडफ़ोन भारत, चीन और वियतनाम में ही बनाए जाने की संभावना है। एशिया ही वास्तव में ऐपल के आइफ़ोनों के निर्माण का सबसे लाभकारी विकल्प बन गया है। किंतु अमेरिकी सरकार चाहती है कि यह अमेरिकी कंपनी अपने उत्पाद मुख्यतः अमेरिका में ही बनाए। वहां के लोगों को और अधिक रोज़गार तथा स्थानीय प्रशासनों को कर लाभ मिले।
 
राष्ट्रपति ट्रम्प विगत 15 मई को जब क़तर में थे, तब वहां कहते सुने गए कि वे ऐपल की चीज़ें 'भारत से अधिक अमेरिका में' बनती देखना चाहते हैं। टिम कुक को वे अपना अच्छा दोस्त बताते हैं। टिम भी उनकी इच्छा के अनुसार अमेरिका में भी 500 अरब डॉलर के बराबर निवेश करने की घोषणा कर चुके हैं। लेकिन तब भी, ट्रम्प यही कहते फिरते हैं कि टिम तो 'अपने उपकरण भारत में बनवाते हैं।'
 
ट्रम्प भारत में उत्पादन के पक्ष में नहीं : ट्रम्प चाहते हैं कि टिम की कंपनी भारत में अपनी चीज़ें न बनाएं; या केवल उतनी ही बनाएं, जितनी भारतीय बाज़ार के लिए पर्याप्त हों। आइफ़ोन, टिम की कंपनी के सबसे नामी और सर्वाधिक बिकने वाली चीज़ हैं, इसलिए ट्रम्प नहीं चाहते कि वे भारत में बनें। ट्रम्प द्वारा डाले जा रहे भारी दबाव को देखते हुए कल्पना की जा सकती है कि टिम कुक की कंपनी ऐपल को भारत में अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए कितना साहस जुटाना पड़ता होगा।  ALSO READ: Apple का सस्ता मोबाइल, iphone 15 से कम कीमत, मचा देगा तूफान, जानिए क्या होंगे फीचर्स
 
ऐपल के कीमती आइफ़ोन अमेरिका में भी बनते हैं, पर उन्हें वहां बनाने की लागत चीन या भारत की अपेक्षा कहीं अधिक होती है। लागत में कमी लाने के लिए ही ऐपल ने मुख्यतः चीन में अपने पैर जमाए और वहां कुशलकर्मियों से लेकर अनेक प्रकार की आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति कड़ी (सप्लाई चेन) बनाई। चीन इस बीच राजनीतिक कारणों से ऐपल के लिए ही नहीं, सभी विदेशी कंपनियों के लिए एक मुश्किल जगह बन गया है। विदेशी कंपनियों को नए विकल्प ढूंढने पड़ रहे हैं। यही कारण है कि चीन में लंबे समय से कार्यरत अनेक विदेशी कंपनियां अब भारत में पैर जमाने लगी हैं। 2021-22 में चीन में फैला कोरोना महामारी वाला लंबा संकटकाल भी विदेशी कंपनियों के वहां से पलायन का एक बड़ा कारण बना। 
 
अमेरिका में उत्पादन मंहगा पड़ेगा : ऐपल के बारे में अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने हाल ही में लिखा कि यह कंपनी जांच रही है कि क्या वह अपने आईफोन उत्पादन का कोई हिस्सा अमेरिका में स्थानांतरित कर सकती है। लेकिन, पाया यह गया कि इसमें कई साल लगेंगे। मुख्य रूप से, एशिया के भीतर सबसे महत्वपूर्ण ऐपल उत्पादों के लिए जो आपूर्ति कड़ी बन गई है, उसे कहीं और पुनः बना सकना आसान नहीं होगा। ये बातें बड़बोले राष्ट्रपति ट्रम्प के पल्ले नहीं पड़तीं। उन्होंने तो बाहर से आने वाली हर चीज़ की रोकथाम लिए सीमा-शुल्क में अनाप-शनाप बढ़ोतरी की घोषणा कर अन्य देशों के लिए ही नहीं, अपने देश के लिए भी अपूर्व नई समस्याएं पैदा कर दी हैं। 
 
फिलहाल, ऐपल की योजना यही है कि अमेरिका में बिकने वाले उसके आइफ़ोनों का एक बड़ा हिस्सा भारत से ही आया करेगा। अमेरिका के लिए उसके आइपैड, मैक कंप्यूटर और ऐपल घड़ियां वियतनाम में बनेंगी और वहीं से अमेरिका पहुंचेंगी। इन्हीं दिनों यह भी सुनने में आया है कि ऐपल का ताइवानी आपूर्तिकर्ता फॉक्सकॉन, जिसने ऐपल के लिए ही चीन में कई विशाल कारखानों का निर्माण किया है, अब भारत में 1 अरब 50 करोड़ डॉलर की लागत वाला एक और निवेश करेगा।
 
प्रतिवर्ष 6 करोड़ आईफोन बनाने की योजना : भारत को लेकर अतीत की ये आशंकाएं कि भारत का बुनियादी ढांचा चीन के समान अच्छी तरह विकसित नहीं है, नौकरशाही और भ्रष्टाचार का बोलबाला है, अब कोई महत्व नहीं रखतीं। न ही इस तथ्य के बारे में कोई बात होती है कि भारतीय श्रमिक आईफोन के निर्माण के योग्य नहीं होते। ब्लूमबर्ग समाचार एजेंसी के अनुसार, ऐपल ने इस साल मार्च के अंत तक एक ही वर्ष में भारत में 22 अरब डॉलर मूल्य के आईफोनों का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 60 प्रतिशत की वृद्धि के बराबर है। 2026 तक, भारत में प्रतिवर्ष 6 करोड़ आईफोन बनाने की योजना है, जो वर्तमान उत्पादन के दोगुने के बराबर है।
 
फरवरी में, ऐपल ने घोषणा थी कि अगले चार वर्षों में अमेरिका के अपने घरेलू बाजार में 500 अरब डॉलर के बराबर निवेश किया जाएगा, जो उसके अब तक के इतिहास में सबसे बड़ी निवेश प्रतिबद्धता होगी। ह्यूस्टन, टेक्सास में, एक नया संयंत्र बनाया जाना है, जिसमें सर्वरों का, अर्थात डेटा-केंद्रों के लिए बड़े कंप्यूटरों का उत्पादन होगा। 

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