इसके लिए सरकार कई तरह के उपाय अमल में ला रही है। इनमें से एक तरीका यह है कि तंबाकू उत्पादों और मीठे पेयों पर एक पाप कर (सिन टैक्स) लगा दिया जाये और इससे जो आमदनी होगी उसे स्वास्थ्य बजट में शामिल कर दिया जाए। अभी सरकार स्वास्थ्य पर जीडीपी का केवल दशमलव 6 फीसदी ही खर्च करती है।