अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने कहा, 'कश्मीर पाकिस्तान में एक भावनात्मक मुद्दा है। उसके नेता अपने लोगों को यह बताने में असफल रहे हैं कि पाकिस्तान को इस मुद्दे पर अब अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल नहीं है।'
हक्कानी ने अमेरिकी थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट की वेबसाइट पर एक लेख में लिखा, 'अधिकतर पाकिस्तानी यह नहीं जानते हैं कि कश्मीर के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आखिरी प्रस्ताव 1957 में पारित हुआ था और यदि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में नए मतदान की बात करता है तो वह कश्मीर में जनमत संग्रह के लिए आज समर्थन हासिल नहीं कर सकता।’
राजदूत के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान शक्तिशाली सेना के साथ टकराव की स्थिति में रहे हक्कानी ने कहा, 'यह स्वीकार करने के बजाए कि व्यापार बढाकर और सीमा पार यात्रा के जरिए संबंधों को सामान्य करना बेहतर होगा, पाकिस्तानी कट्टरपंथी ‘पहले कश्मीर’ के मंत्र पर अटके हुए हैं जो कि अवास्तविक है।'