हिंदू विवाह विधेयक 2016 पर विधि एवं न्याय की स्थायी समिति की रिपोर्ट बुधवार को नेशनल असेंबली में पेश की गई। चूंकि सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) इसका समर्थन कर रही है, इसलिए यह मंजूरी से महज एक ही कदम दूर है।
डॉन ऑनलाइन ने लाल के हवाले से कहा, 'यह देरी संभवत: असाधारण बहसों और इस विधेयक पर चर्चा के कारण हुई। लेकिन कम से कम अब सरकार को अगले सत्र में इसे सदन में रखने के बारे में सोचना चाहिए।' समिति के अध्यक्ष चौधरी बशीर विर्क ने कहा, 'काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियॉलॉजी समेत सभी पक्षों से चर्चा की गई।' हालांकि हिंदु समुदाय के कुछ लोगों ने विधेयक के प्रावधान 12 और 15 पर कड़ी आपत्तियां जाहिर कीं। ये क्रमश: 'हिंदू विवाह को खत्म करने' और 'आपसी सहमति से हिंदू विवाह को खत्म करने' से जुड़े हैं।
विर्क ने कहा, 'इस विधेयक के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान है। इस कानून के मंजूर हो जाने के बाद, जो कोई हिंदू विवाहिता का अपहरण करेगा, वह दंड का अधिकारी होगा क्योंकि पीड़िता का परिवार शादी का सबूत दिखा सकेगा।' यह विधेयक जबरन धर्म परिवर्तन पर भी लगाम लगा सकता है क्योंकि हिंदू विवाहों का पंजीकरण संबंधित सरकारी विभागों में कराया जा सकेगा।
पंजाब, खबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान ने इस बात पर अपनी सहमति जताई है कि संघीय सरकार हिंदू विवाह कानून बना ले, फिर वे इसे अंगीकार करेंगे। हालांकि सिंध ने अपना खुद का हिंदू विवाह पंजीकरण नियम बनाया था। (भाषा)