लंदन। बुखार और दर्द से पीड़ित बच्चों को हम डॉक्टर की राय पर 'पैरासीटामॉल' देकर चैन की सांस लेते हैं और आशा करते हैं कि सब कुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है, तात्कालिक आराम से खिलते बच्चों का चेहरा आगे जाकर दमा की गिरफ्त में आने से कुम्हला सकता है।
ब्रिस्टोल विश्वविद्यालय के डॉक्टर मारिया मागुंस की टीम ने नए शोध में यह खुलासा किया है कि शिशुओं को बुखार में दी जाने वाली सर्वाधिक प्रचलित दवा कैलपॉल और डिस्प्रॉल में पैरासीटामॉल होता है और ये दवाएं लेने वाले बच्चों में तीन साल की उम्र में पहुंचते-पहुंचते दमा की चपेट में आने की आशंका 29 प्रतिशत बढ़ जाती है।