पूर्व मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अब्दुल मजीद मलिक ने अपनी किताब ‘हम भी वहां मौजूद थे’ में इस बात पर जोर दिया है कि कयानी उस 12वीं डिवीजन के अगुवा थे, जो पीओके की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थी लेकिन उस अभियान को लेकर उन्हें भरोसे में नहीं लिया गया जिसको लेकर पाकिस्तान और भारत परमाणु युद्ध के निकट पहुंच गए थे।