दूसरी धरती खोज रहा चीन, क्या है प्लानिंग और कैसे पूरा करेगा मिशन, जानिए

बुधवार, 13 अप्रैल 2022 (21:23 IST)
दुनियाभर में चीन भले ही अपनी महत्वाकांक्षा के लिए जाना जाता है लेकिन सच यह भी है कि चीन अपनी तकनीकी और इनोवेशन के लिए भी जाना जाता है। इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है कि चीन एक दूसरी धरती पर भी काम कर रहा है। यहां तक कि चीन ने इसके लिए बकायदा प्लान भी बनाया हुआ है और उसके वैज्ञानिक प्लान पर तेजी से काम कर रहे हैं।
 
दरअसल, चीन की अंतरिक्ष में और अधिक गहराई तक जाने की योजना है। इसी कड़ी में चीन अब एक वैकल्पिक धरती यानी अर्थ 2.0 पर काम कर रहा है। चीन योजना बना रहा है जो सौर मंडल से परे एक्सोप्लैनेट की तलाश करेगा। इस असाइनमेंट का मुख्य लक्ष्य मिल्की वे आकाशगंगा में रहने योग्य क्षेत्र में एक दुनिया को खोजना है। इसे धरती 2.0 मिशन कहा जा रहा है, इसका लक्ष्य उसी ग्रह की खोज करना है जिसमें हम वर्तमान में निवास कर रहे हैं।
 
इस बारे में 'नेचर' ने अपनी एक रिपोर्ट में विस्तृत जानकारी दी है। इस प्लान के बारे में चीनी विज्ञान अकादमी द्वारा संकल्पना की गई है, जो प्रारंभिक डिजाइन के चरण में है। विशेषज्ञों की एक टीम इस प्रस्तावित मिशन पर काम कर रही है। यह पूरी आइडिया इसी अकादमी की है। अगर सरकार से अनुमति मिली तो इस मिशन के लिए डेवलपमेंट फेज की शुरुआत की जाएगी। उसके लिए फंडिंग आदि की व्यवस्था की जाएगी।
 
रिपोर्ट के मुताबिक चीन को लगता है कि अगले कुछ दशकों में धरती की हालत खराब होने वाली है, ऐसे में वो अपने लोगों को दूसरी धरती पर पहुंचाने की प्लानिंग कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन सात टेलिस्कोप की मदद से सौर मंडल के बाहर दूसरी धरती की खोज करेगा। इन टेलिस्कोप के जरिए वह वैसे ग्रहों की खोज करेगा, जैसा कि केपलर मिशन ने खोजा था।
 
चीन की इस टीम में शामिल प्रमुख एस्ट्रोनॉमर जिया कहते हैं कि केपलर की ताकत कम थी। हमारे पास उसका अच्छा डेटा मौजूद है। उन्होंने कहा कि यह सैटेलाइट नासा के केपलर टेलिस्कोप से 1015 गुना ज्यादा ताकतवर होगा। स्पेसक्राफ्ट ट्रांजिट मेथड के जरिए काम करेगा, वह रोशनी में होने वाले छोटे से बदलाव को भी पकड़ लेगा।
 
फिलहाल चीन द्वारा इस ग्रह की खोज ऐसे समय में की जा रही है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन के बारे में यह कहा जा रहा है कि वह अमेरिका से आगे निकल जाएगा। अब देखना यह होगा कि चीन का यह प्रोजेक्ट कब और कहां तक आगे निकलेगा। इस खोज के बाद चीन यह भी देखेगा कि जो ग्रह खोजा गया है, वो जीवन के लायक है या नहीं, उस पर इंसान रह सकता है या नहीं।

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