सीरिया एक जमाने में एक खुशहाल देश हुआ करता था, अपने गौरवशाली अतीत पर आज आंसू बहाते इस देश में इस समय गृहयुद्ध चल रहा है। इस भीषण संघर्ष की सबसे अधिक मार पड़ी है मासूम बच्चों पर। यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक जस्टिन फोरसाइथ ने सीरियाई बच्चों की दयनीय स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा है कि सीरिया में युद्ध के कारण कई लाख बच्चे बेघर हो चुके हैं और हालत इतनी खराब है कि अब इस देश में बच्चों के उपचार के लिए कोई सक्रिय अस्पताल नहीं है। यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक का कहना था कि कुपोषण, मलेरिया और अन्य विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण युद्ध है और सीरियाई बच्चे हिंसा एवं युद्ध के कारण मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं।
इस त्रासदी का प्रतीक बनी सीरिया में हवाई हमले के बाद की एक तस्वीर, जिसमें एंबुलेंस में बैठे खून और धूल से सने दहशत से भरे चार साल के ओमरान की। छोटे से बच्चे ओमरान और उसका 10 साल का भाई अली, जो अलेप्पो में अपने अपार्टमेंट में हुए बम हमले के कारण बुरी तरह घायल हो गए थे। एंबुलेंस में बैठे हुए दिल दहला देने वाली तस्वीर में ओमरान का चेहरा, हाथ और पैर खून और धूल से सने नजर आ रहे हैं।
लेकिन युद्धग्रस्त अलेप्पो से ही एक ऐसी खबर भी आई है जो मानवता पर भरोसा जगाती है।
निदा फाजली साहब ने लिखा है कि "घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये" मिलिए कुछ ऐसी ही शख्सियत से जो अपनी जान पर खेलकर रोते हुए बच्चों को हंसाने का काम कर रहे हैं।
एक ऐसा 'तस्कर' जो अपनी जान पर खेलकर, चुपके से सीमा पार कर 'तस्करी' से कुछ ऐसा सामान लाता है कि बमों, गोलियों से विदीर्ण हुए इस शहर के बच्चों को उसका बेसब्री से इंतजार रहता है। इस शख्स का हरा थैला देखते ही अलेप्पो के बच्चे अपने दर्द भूल खुशी से झूम उठते हैं। फिनलैंड के रहने वाले रामी अदम सीरिया के बच्चों के लिए अपने हरे बैग में भरकर खिलौने लाते हैं, इन खिलौनों को पाकर बच्चे खुशी से झूम उठते हैं। कई बड़े पश्चिमी टीवी चैनलों सहित अल जजीरा ने भी एक बेहद भावप्रण डॉक्यूूमेंट्री के जरिए अलेप्पो के टॉय स्मग्लर की कहानी बयां की है। अगले पन्ने पर देखें वीडियो...