पेशावर। पाकिस्तान में एक के बाद एक हो रहे आतंकी हमलों के बीच प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को पेशावर में हुए बम धमाके को रोकने में नाकामी की बात स्वीकार की और इस खतरे से निपटने के लिए राष्ट्रीय एकता का आह्वान किया। पेशावर में मस्जिद में नमाज के वक्त हुए आत्मघाती विस्फोट में 100 से अधिक लोग मारे गए थे।
मस्जिद पर हुए हमले और पाकिस्तान में आतंकवाद की उभरती स्थिति पर यहां गवर्नर हाउस में एक शीर्ष समिति की बैठक को संबोधित करते हुए शरीफ ने आतंकवादी हमलों के मद्देनजर विपक्षी दलों द्वारा संघीय सरकार के खिलाफ की गई आलोचना पर भी निराशा व्यक्त की।
'डान' अखबार ने शरीफ के हवाले से कहा कि राजनीतिक दलों में एकजुटता की जरूरत है। आतंकवाद का यह कृत्य सुरक्षा जांच चौकी को भेदते हुए मस्जिद तक पहुंच अंजाम दिया गया। हमें तथ्यों को स्वीकार करने में संकोच नहीं करना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान ने इस बैठक का बहिष्कार किया था।
शीर्ष समिति की बैठक में शामिल होने से इंकार करने के लिए खान की आलोचना करते हुए शरीफ ने कहा कि आप (इमरान खान) देश की नियति को सुधारने के लिए हाथ मिलाने के लिए तैयार नहीं हैं। पेशावर मस्जिद में सोमवार को हुए हमले में तालिबान के एक आत्मघाती हमलावर ने दोपहर की नमाज के दौरान विस्फोट कर खुद को उड़ा लिया। इसमें 101 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हो गए थे।
पुलिस ने गुरुवार को कहा कि हमलावर ने उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में घुसने के लिए पुलिस की वर्दी पहन रखी थी और वह हेलमेट और मास्क लगाकर मोटरसाइकल चला रहा था। पाकिस्तान में हाल में आतंकवाद से जुड़े कई मामले देखने को मिले हैं जिनमें से अधिकतर देश के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अंजाम दिए गए। हालांकि बलोचिस्तान और अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से लगने वाले पंजाब के मियांवाली शहर में भी आतंकी हमले देखने को मिले हैं।
मस्जिद हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति सहानुभूति जताते हुए शरीफ ने कहा कि यह पूछा जा रहा था कि यह आतंकी कृत्य कैसे हुआ जबकि कुछ साल पहले आतंकवाद को खत्म किया जा चुका है। खबर में उन्हें उद्धृत करते हुए कह कि गया कि इस घटना के मद्देनजर सोशल मीडिया पर अनुचित आलोचना देखी गई। यह निश्चय ही निंदनीय है। सुरक्षा चूक के कारण घटना घटित होने की जांच की जाएगी। लेकिन यह कहना कि यह एक ड्रोन हमला था और इसी तरह के आरोप इस दुखद समय में अनावश्यक थे।
बैठक के दौरान शरीफ ने यह कहकर पाकिस्तान में आतंकवादियों की मौजूदगी को स्वीकार किया कि आतंकवादी घूमते हैं, लेकिन उनके पास छिपने के लिए कोई सुरक्षित क्षेत्र नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार, आतंकवादियों ने किसी भी क्षेत्र पर कब्जा नहीं किया है। उनके नियंत्रण में एक इंच भी नहीं है। वे इधर-उधर घूमते हैं। लेकिन उनके कब्जे में कोई जगह नहीं है।
शुक्रवार की बैठक में पाक सरकार के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भाग लिया जिसमें सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर, 4 प्रांतों और गिलगित-बाल्टिस्तान के मुख्यमंत्री, संघीय मंत्री और नेतागण शामिल थे। शरीफ ने कह कहा कि पूरा पाकिस्तान इस बारे में सोच रहा है कि भविष्य में इस खतरे से कैसे निपटा जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस आतंकी लहर को रोकने के लिए क्या उपाय किए जाएंगे? यह समय की मांग है कि राजनीतिक दलों के नेतृत्व के साथ-साथ प्रांत और केंद्र जिम्मेदारी लें और अपने मतभेदों को दूर करें, चाहे वे राजनीतिक हों या किसी धार्मिक कारणों से संबंधित हों। हमें एकजुट होकर इससे निपटना चाहिए।
शरीफ ने सवाल किया कि विभिन्न सैन्य अभियानों के दौरान निष्कासित किए जाने के बाद उग्रवादियों को देश लौटने की अनुमति किसने दी। उन्होंने कहा कि लेकिन उन्हें (तालिबान को) यहां कौन लाया? यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब देश ढूंढ रहा है। बैठक के दौरान शरीफ ने घोषणा की कि वह सात फरवरी को सर्वदलीय सम्मेलन (एपीसी) की एक बैठक बुलाएंगे ताकि उग्रवाद पर चर्चा की जा सके और इसका मुकाबला करने के लिए एक नीति तैयार की जा सके।(भाषा)