अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित टॉरो यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर किम फोटेनहॉएर ने कहा "लोग घरों से बाहर खुले में बहुत कम समय बिता रहे हैं और जब भी वे बाहर निकलते हैं, सनस्क्रीन लगा कर निकलते हैं लिहाजा उनके शरीर की विटामिन डी निर्माण की क्षमता खत्म हो जाती है।
अध्ययन के मुताबिक टाइप टू डायबिटीज, गुर्दे की बीमारियों, क्रोन और सेलियक जैसी बीमारियां खाद्य स्रोतों से विटामिन डी के चयापचय की क्षमता में बड़ी बाधा डालता है। विटामिन डी का निर्माण तभी होता है जब शरीर सूरज की किरणों के संपर्क में आता है। विटामिन डी शरीर के क्रियाकलापों में महती भूमिका निभाता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, प्रदाह को नियंत्रित करने और तंत्रिका एवं मांसपेशियों की कार्यक्षमता में वृद्धि करता है।
अध्ययन के मुताबिक सप्ताह में दो बार दोपहर में पांच से 30 मिनट तक धूप के संपर्क में रहने से विटामिन डी की कमी दूर करने और स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलेगी। शोधकर्ता इस दौरान सनस्क्रीन का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह देते हैं क्योंकि एसपीएफ -15 अथवा इससे अधिक एसपीएफ वाली सनस्क्रीन विटामिन डी3 के उत्पादन को 99 प्रतिशत तक कम कर देती है।