तालिबान, अल कायदा और आतंकवादी समूह LeT-JeM के बीच संबंध हैं चिंता का विषय- UNSC में बोला भारत

मंगलवार, 15 फ़रवरी 2022 (00:32 IST)
संयुक्त राष्ट्र। अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) का कब्जा होने के बाद दुनिया के लिए यहां आतंकवादी गुट पनपने को लेकर एक बड़ी चिंता गहराई हुई है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद विरोधी समिति के अध्यक्ष राजदूत टीएस तिरुमूर्ति (TS Tirumurti) ने तालिबान, अल कायदा और पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के बीच संबंधों पर चिंता जताई है।

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद रोधी समिति के अध्यक्ष एवं राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने 2019 की शुरुआत में पुलवामा और श्रीलंका में हुए आतंकी हमलों को याद करते हुए सोमवार को कहा कि आईएसआईएल, अल कायदा और संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूह और 'एक देश के भूभाग और सीमा पार से' अपनी गतिविधियां संचालित कर रहे लोग, आम नागरिकों और सैन्य ढांचों को निशाना बनाना जारी रखे हुए हैं।

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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि तिरुमूर्ति ने आतंकवाद निरोधी समिति के अध्यक्ष के रूप में आतंकवाद निरोधी समिति के कार्यकारी निदेशालय (सीटीईडी) के काम की जानकारी देते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने याद किया कि समिति ने जून 2018 में दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में आतंकवाद और आतंकवाद के लिए अनुकूल हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने में समुदाय को शामिल करने पर एक अनौपचारिक बैठक की थी।
 
तिरुमूर्ति ने अध्यक्ष के रूप में अपनी प्रारंभिक टिप्प्णी में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अनौपचारिक बैठक के बाद की अवधि के दौरान उपक्षेत्र के देशों के लिए आतंकवादी खतरा अधिक रहा। आईएसआईएल, अल कायदा और संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूह और एक देश के क्षेत्र में और सीमा पार से गतिविधियां संचालित कर रहे व्यक्ति, नागरिकों के साथ-साथ सैन्य ढांचों को निशाना बनाना जारी रखे हुए हैं।
 
हाल ही में भारत ने पड़ोसी देश पाकिस्तान का परोक्ष जिक्र करते हुए कहा था कि कुछ आतंकवादी संगठनों ने मानवीय कार्यों के लिए दी जाने वाली छूट का पूरा लाभ उठाकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध व्यवस्था का 'मजाक' बनाया है और पड़ोस में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों ने प्रतिबंधों से स्वयं को बचाने के लिए मानवीय संगठनों के रूप में खुद को पेश किया है।
 
टीएस तिरुमूर्ति ने कहा था कि यह महत्वपूर्ण है कि प्रतिबंध वैध मानवीय आवश्यकताओं को बाधित नहीं करें। बहरहाल, यह आवश्यक है कि मानवीय आधार पर छूट मुहैया कराते समय खासकर आतंकवादियों को पनाहगाह मुहैया कराने वाले स्थानों के संदर्भ में पूरी सावधानी बरती जाए।

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