तस्वीरों में दिख रही प्रतिमा अब्दुल अली मजारी की है। इस मिलिशिया नेता की 1996 में तालिबान ने प्रतिद्वंद्वी क्षत्रप से सत्ता हथियाने के बाद हत्या कर दी थी। मजारी अफगानिस्तान के जातीय हजारा अल्पसंख्यक और शियाओं के नेता थे और पूर्व में सुन्नी तालिबान के शासन में इन समुदायों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था।
2001 में भी बामियान में तालिबान ने ढाया था कहर : यह प्रतिमा मध्य बामियान प्रांत में थी। यह वही प्रांत है, जहां तालिबान ने 2001 में बुद्ध की दो विशाल 1,500 साल पुरानी प्रतिमाओं को उड़ा दिया था। ये प्रतिमाएं पहा़ड़ को काटकर बनाई हुई थीं।
1996 से 2001 के तालिबान राज में महिलाएं ज्यादातर अपने घरों में क़ैद हो गई थीं। टीवी और संगीत पर प्रतिबंध लग गया था और संदिग्ध अपराधियों को सार्वजनिक स्थानों पर कोड़े मारे जाते थे, उनके अंग काट दिए जाते थे या उनकी हत्या कर दी जाती थी।
तालिबान ने महिलाओं को भी इस्लामिक नियमों के हिसाब से पूरा अधिकार देने का वादा किया है। हालांकि, इस बारे में विस्तार में नहीं बताया गया। लेकिन देश में ऐसी भी आबादी है जो इस समूह के वादों पर भरोसा नहीं कर पा रही है। इनमें वैसे लोग शामिल हैं, जो पहले तालिबान का शासन देख चुके हैं जब इसने कड़े इस्लामिक क़ानून लागू किए थे।