ईरान की राजधानी में एक गुरुद्वारे और केन्द्रीय विद्यालय में जब प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की पत्नी गुरुशरण कौर पहुंचीं तो बॉलीवुड गीतों, आइटम नंबर और लोक संगीत से उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। गुरुद्वारे और केन्द्रीय विद्यालय को भारत सरकार की ओर से दो करोड़ रुपए की मदद प्रदान की गई।
एक बांग्लादेशी और एक इराकी लड़की सहित स्कूली बच्चों ने अपने गीतों और नृत्य प्रदर्शन से कौर सहित दर्शकों का मन मोह लिया। इस दौरान करीब एक घंटे तक प्रधानमंत्री की पत्नी अपने पैर थपथपाती और धीमे-धीमे ताली बजाती हुई देखी गईं। पारंपरिक लाल पंजाबी परिधान पहने एक छोटी-सी बच्ची अपनी सुंदर मुखाकृति और अपने विश्वास के कारण सभी के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई थी।
बच्चों ने जब 'गुन गुना रे' गाया तो दर्शक पूरी तरह से शांत हो गए। जब उन्होंने पंजाबी गाने 'साडी गली भूल के भी आया करो' और 'बरसी-बरसी' गाया तो दर्शकों में मौजूद 190 छात्र एवं उनके अभिभावक झूमने लगे और कई तो गानों की धुन के साथ तालियां बजा रहे थे।
यह स्कूल गुरुद्वारा प्रबंधन समिति द्वारा शुरू किया गया था। इस समिति की शुरुआत लाला माखनसिंह ने की थी और उन्होंने द्वार-द्वार जाकर लोगों से चंदा इकट्ठा किया था।
स्कूल के प्रधानाध्यापक जुगलकिशोर ने बताया कि हिन्दुजा बंधुओं ने इस स्कूल के निर्माण के लिए बड़ी धनराशि दान की थी। इस स्कूल का निर्माण 1960 के दशक में हुआ था। यहां 1979 की क्रांति तक स्कूल में 350 से अधिक छात्र थे और वह पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्ध था। बाद में यह सीबीएसई से जुड़ गया।
उन्होंने कहा कि क्रांति के बाद कई भारतीय परिवार तेहरान छोड़कर चले गए। करीब 350 भारतीय परिवारों में से महज 60-65 भारतीय परिवार बचे रह गये हैं। बाद में यह 2004 में केन्द्रीय विद्यालय संगठन के नियंत्रण में आ गया। हालांकि माना जाता है कि यह एक स्ववित्त पोषित स्कूल है, लेकिन सरकार को इसकी मदद के लिए आना पड़ा, क्योंकि इसमें बहुत कम छात्र हैं।
इस स्कूल के पिछले दो साल से 100 प्रतिशत सफलता के नतीजे रहे हैं। इस कारण से भी भारत सरकार ने इसे दो करोड़ रुपए का अनुदान दिया है। इस अनुदान की घोषणा कौर के दौरे के समय की गई। (भाषा)