नो बॉल विवाद: चहल ने कुलदीप को रोका डगआउट में जाने से नहीं तो लग सकता था बैन

शनिवार, 23 अप्रैल 2022 (16:03 IST)
मुम्बई:एक साथ क्रिकेट खेल चुके युजवेंद्र चहल ने कल अपने साथी कुलदीप यादव को एक बड़ी मुसीबत से बचा लिया। दिल्ली बनाम राजस्थान से शुक्रवार को हुए एक रोमांचक मुकाबले में कुलदीप यादव अपने कप्तान ऋषभ पंत के इशारे पर डग आउट की ओर चल पड़े थे। अगर चहल ऐसा ना करते तो हो सकता है कुलदीप पर भी 1 मैच का बैन लगता।

हालांकि दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान ऋषभ पंत को लगता है कि शुक्रवार को राजस्थान रॉयल्स के मुक़ाबले के दौरान आख़िरी ओवर में तीसरी गेंद पर नो बोल देने नहीं देने के ऑन फ़ील्ड अंपायर के निर्णय पर थर्ड अंपायर को दखल देना चाहिए था। पंत के अनुसार, नो बॉल करार न देने का फ़ैसला उनकी टीम पर भारी पड़ा, जिस वजह से दिल्ली कैपिटल्स को राजस्थान के हाथों 15 रनों की हार झेलनी पड़ी। हालांकि टीम के सहायक कोच शेन वॉटसन ऋषभ पंत की इस दलील से सहमत नहीं दिखे। वॉटसन ने बीती रात हुए घटनाक्रम से दूरी बनाते हुए कहा कि अंपायर के निर्णय को स्वीकारा जाना चाहिए था।

नो बॉल का इंतजार करती रही दिल्ली

राजस्थान रॉयल्स द्वारा दिए गए 223 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए दिल्ली की बल्लेबाज़ी अंतिम ओवर में थी। ओवर की तीसरी गेंद पर ओबेद मकॉए ने एक हाई फ़ुल टॉस फेंका, जिसे रोवमन पॉवेल ने छक्के के लिए पुल कर दिया। आख़िरी ओवर में 36 रन बनाने थे, जिसकी पहली तीन गेंदों पर पॉवेल ने लगातार तीन छक्के जड़ दिए थे। अंपायर ने छक्के का इशारा तो कर दिया, लेकिन दिल्ली कैपिटल्स नो बॉल का इशारा किए जाने के इंतज़ार में भी थे।

Rishabh Pant said, "everyone was frustrated, it was a clear no ball. We were disappointed, but it's not in our control".@rajasthanroyals @DelhiCapitals pic.twitter.com/l4WWHyG2jn

— kiran1432 (@SaiKiranAddala3) April 22, 2022
दिल्ली के खिलाड़ी अंपायर से उलझ बैठे

अंपायर का नो बॉल करार देना उन्हें एक अतिरिक्त गेंद और एक फ़्री हिट भी मुहैया करा जाता। जिसके बाद पॉवेल कुछ वही चीज़ दोहरा सकते थे, जो कारानामा एमएस धोनी ने गुरुवार को मुंबई इंडियंस के विरुद्ध खेले गए मुक़ाबले में किया था। हालांकि अंपायर ने गेंद को नो बॉल करार नहीं दिया, जिसके फलस्वरूप पॉवेल और कुलदीप यादव ऑन फ़ील्ड अंपायर नितिन मेनन और निखिल पटवर्धन से उलझ पड़े। दूसरी तरफ़ डगआउट में मौजूद कप्तान पंत और टीम के अन्य खिलाड़ी भी पॉवेल और कुलदीप को अंपायर से बहस करने के समर्थन में दिखाई दिए। बावजूद इसके कि नियमों के मुताबिक़ नो बॉल की समीक्षा के लिए थर्ड अंपायर को तब तक रेफ़र नहीं किया जा सकता, जब तक कि उस विशेष गेंद पर विकेट न गिरा हो।

चहल ने कुलदीप को रोका डग आउट में जाने से

अंपायरो को फ़ैसले पर अडिग रहता देख, डगआउट में मौजूद कप्तान पंत ने अपने खिलाड़ियों को मैदान से वॉक ऑफ़ करने के लिए कह दिया। हालांकि राजस्थान रॉयल्स के लेग स्पिनर युज़वेंद्र चहल ने कुलदीप को ऐसा करने से रोक लिया। इसी बीच पंत ने दिल्ली कैपिटल्स के एक अन्य सहायक कोच प्रवीण आमरे को अंपायरों से बातचीत करने के लिए भेज दिया। उसी समय वॉटसन पंत को शांत कराते नज़र आए। वहीं राजस्थान को एक विशाल लक्ष्य तक पहुंचाने वाले जॉस बटलर भी ऋषभ पंत तक गए। खेल दोबारा शुरू हुआ, लेकिन दिल्ली कैपिटल्स जीत से 15 रन के फ़ासले पर रह गयी, क्योंकि ब्रेक के बाद मकॉए ने अपनी लाइन सही करने के साथ-साथ स्लोअर गेंद फेंकना शुरु कर दिया।

हालांकि अगर चहल कुलदीप को ना रोकते तो हो सकता था कुलदीप यादव को ज्यादा नुकसान होता उन्हें एक मैच का बैन भी झेलना पड़ सकता था। 3 मैन ऑफ द मैच अवार्ड जीतने वाली दिल्ली कैपिटल्स वैसे भी कोरोना के कारण परेशान है। ऐसे में एक और बड़े खिलाड़ी का जाने का मतलब है टीम के लिए नई समस्या।

पंत ने किया खुद का बचाव

इस पूरे नाटकीय घटनाक्रम के बाद पंत खुद का बचाव करते दिखे। मैच की समाप्ति के बाद पंत ने ब्रॉडकास्टर पर बातचीत करते हुए कहा, "अंतिम क्षणों में पॉवेल ने जीत की उम्मीद जगा दी थी। मुझे लगा कि यह नो बॉल हमारे लिए निर्णायक साबित हो सकता है। मेरे मुताबिक़ नो बोल को चेक किया जा सकता था, लेकिन सबकुछ मेरे हाथ में नहीं था। निराश हूं, लेकिन इसमें कुछ किया भी नहीं जा सकता।"

ऑन फ़ील्ड अंपायर द्वारा नो बॉल करार न दिए जाने के फ़ैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पंत ने कहा, "सब ने देखा कि वह नो बॉल था। मुझे लगता है कि थर्ड अंपायर को दखल देना चाहिए था और उन्हें बताना चाहिए था कि वह नो बोल थी, लेकिन मैं ख़ुद नियम नहीं बदल सकता।" हालांकि पंत ने मैदान पर अंपायरों से बहस करने के लिए प्रवीण आमरे को भेजे जाने के फ़ैसले पर अपनी भूल को स्वीकारा। उन्होंने कहा, "ज़ाहिर तौर पर यह सही नहीं था, लेकिन जो हुआ वह भी सही नहीं था। ऐसा हिट ऑफ़ द मोमेंट के कारण हुआ। मुझे लगता है कि यह सिर्फ़ हमारी नहीं बल्कि दोनों पक्षों की ग़लती थी। क्योंकि हमने इस टूर्नामेंट में अच्छी अंपायरिंग देखी है, इसलिए हम काफ़ी अच्छा कर सकते थे।"

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