क्रिकेट में ज्यादातर धन भारत से आता है और जहाँ धन होता है वहाँ विवाद भी होते हैं। क्रिकेट के इस बाजार का फायदा उठाने के उद्देश्य से एस्सेल समूह ने इंडियन क्रिकेट लीग (आईसीएल) की शुरुआत की। जी समूह और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के बीच टीवी प्रसारण अधिकारों को लेकर कुछ विवाद था। इसी के कारण जी समूह ने अपनी स्वयं की लीग शुरू करने की योजना बनाई।
आईसीएल की शुरुआत से पहले कई दावे किए गए थे, लेकिन यह लीग किसी फ्लॉप फिल्म की तरह कब आई और कब गई पता ही नहीं चला। लेकिन इसे भारत की पहली पेशेवर लीग होने का सम्मान हासिल है।
आईसीएल की शुरुआत 30 नवंबर से चंडीगढ़ के पास स्थित पंचकुला में हुई। हालाँकि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने आईसीएल को मान्यता नहीं देते हुए इसे विद्रोही लीग करार दिया। फिर भी लुभावने प्रस्तावों के कारण कई दिग्गज क्रिकेटर इससे जुड़े। इनमें से अधिकांश ऐसे थे जो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके थे।
इनमें ब्रायन लारा, इंजमाम-उल-हक, लांस क्लूजनर जैसे नाम शामिल हैं। इस लीग ने सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय घरेलू टूर्नामेंटों को दिया। भारत के अधिकांश रणजी ट्रॉफी खिलाड़ियों ने आईसीएल का दामन थामा।
आईसीएल को 100 करोड़ रुपए की योजना बताया गया जिसकी वार्षिक पुरस्कार राशि एक मिलियन अमेरिकी डॉलर थी। शुरुआत में इसमें छः टीमें बनाई गईं। भविष्य में टीमों की संख्या बढ़ाकर 16 करने की योजना है। वैसे शुरुआती असफलता के बाद भी आईसीएल ने हिम्मत नहीं हारी है। लीग के अगले सत्र के लिए अभी भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की भर्ती जारी है।
असफलता का कारण * जिस समय आईसीएल का आयोजन हुआ, उसी समय भारत और पाकिस्तान की टेस्ट श्रृंखला चल रही थी। जाहिर है कि दर्शकों की दिलचस्पी चिरप्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से टक्कर देखने में ज्यादा थी। * गैर मान्यता प्राप्त लीग होने के कारण इसकी चमक कुछ कम हुई। साथ ही प्रतिबंध के डर से वर्तमान खिलाड़ियों ने इससे दूरी बनाए रखी। * आईसीएल में अधिकांश गुजरे जमाने के क्रिकेटर थे। इनके प्रति दर्शकों की रुचि कम थी। * स्टेडियम की अनुपलब्धता के कारण आईसीएल का आयोजन किसी बड़े शहर में नहीं किया गया। * इसके अलावा लीग का प्रचार भी ज्यादा नहीं हुआ।
लीग क्रिकेट * क्रिकेट में कई निजी लीग शुरू हुई हैं। इनकी शुरुआत का उद्देश्य अलग-अलग रहा है। इनमें से कुछ आयोजनों के बारे में खेल प्रशंसकों को जानकारी है, लेकिन कुछ गुमनाम हैं। कुछ आयोजन ऐसे थे जो अपना अस्तित्व नहीं बचा सके। * एस्सेल समूह की इंडियन क्रिकेट लीग (आईसीएल) की शुरुआत भारत में 2007 में हुई। * वर्ल्ड क्रिकेट सीरिज की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया के मीडिया मुगल कैरी पैकर ने 1977-78 में की। इसे पैकर सीरिज भी कहा गया। क्रिकेट के व्यावसायीकरण में इसका मुख्य योगदान रहा। * प्रो क्रिकेट लीग की शुरुआत अमेरिका में कल्पेश पटेल ने की। आठ टीमों के साथ 2 जुलाई 2004 को शुरू हुई यह लीग इसी साल बंद भी हो गई। यह आईसीसी से संबद्ध नहीं थी और पूरी तरह निजी आयोजन था। इसमें भी प्रति पारी 20 ओवर खेले गए, लेकिन एक ओवर में पाँच ही गेंदें होती थीं। * 'इंडियन क्रिकेट लीग अमेरिका' की शुरुआत 2005 में पेआटोमाटा समूह ने फ्लोरिडा में की। * वर्ष 2006 में सर एलेन स्टेनफोर्ड ने वेस्टइंडीज में स्टेनफोर्ड ट्वेंटी-20 लीग की शुरुआत की। इसका उद्देश्य कैरेबियाई क्रिकेट में फिर से जान फूँकना था। इसे वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड (डब्ल्यूआईसीबी) के कार्यक्रम में शामिल किया गया है।
क्रिकेटरों पर धन की बरसात * भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) अपने क्रिकेटरों को लाखों रुपए देता है। बोर्ड ने अपनी अनुबंध प्रणाली के तहत खिलाड़ियों को चार वर्गों में बाँटा है। ए-ग्रेड के खिलाड़ी को 60 लाख रुपए, बी-ग्रेड के खिलाड़ी को 40 लाख रुपए, सी-ग्रेड के खिलाड़ी को 25 लाख रुपए और डी-ग्रेड के खिलाड़ी को 15 लाख रुपए दिए जाते हैं। इसके अलावा खिलाड़ियों को बोनस सहित अन्य सुविधाएँ भी मिलती हैं। खिलाड़ियों की आय का एक अन्य स्रोत विज्ञापन अनुबंध भी हैं।
* बोर्ड ने रणजी ट्रॉफी खिलाड़ियों की मैच फीस भी बढ़ा दी है। अब खिलाड़ियों को एक दिन के 35 हजार रुपए दिए जाते हैं। साथ ही घरेलू टूर्नामेंट की इनामी रकम भी बढ़ाकर 4.2 करोड़ रुपए कर दी गई है। पहले रणजी खिलाड़ियों को 16 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मैच फीस मिलती थी।
* भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने महिला क्रिकेट का बजट भी बढ़ा दिया है। महिला क्रिकेट के बजट को 3.6 करोड़ से बढ़ाकर 7 करोड़ रुपए कर दिया गया है। अब जल्द ही महिलाओं के लिए भी आईपीएल की तर्ज पर क्रिकेट लीग शुरू करने की योजना है।