रॉवमैन पॉवेल और नांद्रे बर्गर को अगर छोड़ दिया जाए तो इस साल राजस्थान रॉयल्स ने कोई खास खरीदी नहीं की है। इसका अर्थ यह है कि उन्हें लगभग उन ही खिलाड़ियों पर निर्भर होना पड़ेगा जो पिछले कुछ सत्रो में टीम की जिम्मेदारियों को अपने कंधो पर लादकर आगे बढ़ रहे हैं।
संजू सैमसन टीम के कप्तान हैं और सलामी बल्लेबाज हैं। पिछले कुछ सत्रों में उनकी कप्तानी पर सवाल उठे हैं। कभी टीम बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाती तो कभी वह खुद। साल 2008 में पहली बार आईपीएल का खिताब जीतने के बाद राजस्थान में जीत का सूखा है।राजस्थान रॉयल्स का स्वोट (स्ट्रेंथ, वीकनेस, ऑपोरच्यूनिटीज, थ्रेट - मजबूती, कमजोरी, मौके और खतरा) विश्लेषण इस प्रकार है।
मजबूती:टीम की मजबूती इसका बल्लेबाजी लाइन-अप है जिसमें यशस्वी जायसवाल और जोस बटलर की सलामी जोड़ी खतरनाक और यह सबसे ताकतवर दिखती है। टूर्नामेंट की अन्य टीमें इस जोड़ी से सतर्क रहेंगी।
इंग्लैंड टी20 कप्तान बटलर की छवि एक ताबड़तोड़ रन मशीन के तौर पर है। जायसवाल भी शानदार फॉर्म में हैं। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में जिस गति से 712 रन बनाए हैं। वह इस सत्र में दूसरी टीमों के लिए और भी ज्यादा खतरनाक हो जाएंगे।
टीम के मध्य क्रम में देवदत्त पडिक्कल, शिमरोन हेटमायर और कप्तान संजू सैमसन शामिल हैं।रविचंद्रन अश्विन और युजवेंद्र चहल की अनुभवी जोड़ी के साथ आस्ट्रेलियाई एडम जम्पा की मौजूदगी से स्पिन विभाग मजबूत दिखता है।
कमज़ोरी:सीमित ओवरों के क्रिकेट में एक हरफनमौला की भूमिका बहुत अहम होती है, जिसमें टीम कमजोर हो सकती है।वेस्टइंडीज के जेसन होल्डर के जाने के बाद यह वर्ग राजस्थान के लिए मुश्किल का सबब बन गया है। दक्षिण अफ्रीका के डोनोवन फेरेरा और घरेलू क्रिकेटर आबिद मुश्ताक और को अभी इस स्तर पर परखा नहीं जा सका है।
रविचंद्रन अश्विन 37 वर्षीय हो गए हैं और वह बल्लेबाजी कितनी कर पाएंगे यह कहा नहीं जा सकता। बल्लेबाजी को लेकर उनको किए गए प्रयोग विफल ही हो गए हैं।रियान पराग लंबे समय से ऑलराउंडर की परिभाषा के लिए मजाक का पर्याय बनकर रह गए हैं।
लेकिन 'इम्पैक्ट प्लेयर' नियम टीम के लिए बचाव का रास्ता बन सकता है क्योंकि इससे एक आलराउंडर की जरुरत कम हो जाती है।जयपुर की टीम के लिये गेंदबाजी चिंता का कारण हो सकती है।
ट्रेंट बोल्ट को छोड़कर तेज गेंदबाजी आक्रमण सामान्य दिखता है। पीठ में फ्रैक्चर के कारण प्रसिद्ध कृष्णा आईपीएल में नहीं खेल पायेंगे जिससे राजस्थान रॉयल्स के लिये चीजें खराब हो गयीं। अब जिम्मेदारी नवदीप सैनी, कुलदीप सेन और दक्षिण अफ्रीका के नांद्रे बर्गर पर होगी।
मौके :ट्रैंट बोल्ट के अलावा तेज गेंदबाजी विभाग कमजोर दिख रहा है लेकिन सैनी, सेन, संदीप शर्मा के लिए आगामी सत्र अपनी छाप छोड़ने और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का एक बड़ा मौका हो सकता है।साथ ही आगामी सत्र एडम जैम्पा जम्पा को भी मौके प्रदान करेगा।दक्षिण अफ्रीका के नांद्रे बर्गर युवा हैं, वह क्रिकेट के इस छोटे प्रारुप में कैसा प्रदर्शन करते हैं यह देखने वाली बात होगी।
खतरा :पिछले रिकॉर्ड को देखें तो टूर्नामेंट राजस्थान रॉयल्स के लिए इतना अच्छा नहीं रहा है क्योंकि उनके नाम असफलताओं का इतिहास रहा है।टीम ने 2008 में दिवंगत शेन वार्न की कप्तानी में शुरुआती चरण का खिताब जीता था लेकिन इसके बाद पिछले साल तक यह सफर निराशाजनक रहा। साल 2022 में टीम उपविजेता रही।
टूर्नामेंट के इतिहास में टीम ने केवल तीन बार प्लेऑफ में जगह बनायी और दो साल के लिए निलंबित भी रही।टीम के लिए सबसे बड़ा खतरा खिलाड़ियों की निरंतरता है। यशस्वी जायसवाल को छोड़ दे तो ज्यादातर खिलाड़ियों के निरंतर ना होने के कारण ही राजस्थान रॉयल्स को कोई गंभीरता से लेने के लिए तैयार नहीं है।