इंडियन प्रीमियर लीग की सबसे कमजोर टीमों में से एक बेंगलोर रॉयल चैलेंजर्स के भीतरी विवाद सामने आ गए, जब टीम के मालिक विजय माल्या ने खुलासा किया कि टीम चयन को लेकर कप्तान राहुल द्रविड़ और बर्खास्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी चारू शर्मा से उनकी ठन गई थी।
माल्या ने साफ किया कि वह टीम से खुश नहीं थे जो फिलहाल आईपीएल लीग तालिका में सबसे नीचे चल रही है और जिसे ट्वेंटी-20 टूर्नामेंट में टेस्ट टीम कहा जा रहा है।
माल्या ने कहा कि उनके दिमाग में कुछ खिलाड़ियों के नाम थे लेकिन द्रविड़ और शर्मा उन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज करते हुए अपनी रणनीति के मुताबिक चले।
उन्होंने कहा कि मेरे पास अपनी सूची (खिलाड़ियों की) थी लेकिन राहुल द्रविड़ और चारू शर्मा ने भी अपनी सूची बना रखी थी और अंतत. मुझे पीछा हटना पड़ा।
माल्या ने कहा कि मैं जिन खिलाड़ियों को चाहता था उनकी बोली लगाने के लिए काफी उत्सुक था, लेकिन उन्होंने मुझे पीछे कर दिया। जाहिर है चीजें वैसे नहीं हुईं, जैसे मैं चाहता था।
उन्होंने कहा कि शर्मा ने अंत तक द्रविड़ का समर्थन किया और यहाँ तक कि जब दूसरी नीलामी में कप्तान उपस्थित नहीं था, तब भी इस पूर्व सीईओ ने माल्या को उनकी पसंद के खिलाड़ी नहीं खरीदने दिए।
माल्या ने कहा कि जब दूसरी नीलामी में राहुल द्रविड़ उपस्थित नहीं थे तो मैं अपनी पसंद के कुछ खिलाड़ियों को लेना चाहता था, लेकिन चारू शर्मा ने अधिक उत्साह नहीं दिखाया। मेरा मतलब यह है कि मैंने मिस्बाह-उल-हक को इसलिए खरीदा क्योंकि मैं उसको खरीदने के लिए प्रतिबद्ध था।
शर्मा को हटाने और उनकी जगह पूर्व टेस्ट खिलाड़ी ब्रजेश पटेल को सीईओ बनाने के संदर्भ में माल्या ने कहा कि चारू शर्मा को इसलिए सीआईओ नियुक्त किया गया था क्योंकि मुझे लगता था कि उन्हें क्रिकेट की समझ है और इससे टीम को फायदा होगा।
माल्या ने कहा कि पटेल की नियुक्ति जरूरी थी क्योंकि वह इन शिकायतों से थक गए थे कि बेंगलोर में टीम को अभ्यास की अच्छी सुविधा नहीं मिल रही है।
उन्होंने कहा जब मैं टीम के प्रदर्शन पर सवाल कर रहा था तो मुझे बताया गया कि अभ्यास की सुविधाएँ अच्छी नहीं है। उसके बाद मुझसे कहा गया कि टीम में एकजुटता नहीं है। यानी सारा ठीकरा बुनियादी ढाँचे के अभाव या किसी विशेष मैच पर फोड़ दिया गया।
उन्होंने कहा कि फिर मैंने सोचा कि ऐसा कब तक चलेगा इसलिए मैंने ब्रजेश पटेल को नियुक्त किया, जो कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के मानद सचिव हैं। उनसे बेहतर मैच सुविधएँ कौन मुहैया करा सकता है। टीम को और क्या चाहिए था?
माल्या ने यह भी स्पष्ट किया कि आईपीएल का कार्पोरेट चेहरा ही इसे दूसरे टूर्नामेंटों से अलग बनाता है। उन्होंने कहा कि आखिर में लोगों को समझना होगा कि आईपीएल का एक कार्पोरेट चेहरा भी है यानी यह पूरी तरह से पारंपरिक क्रिकेट नहीं है।
टीम के सेमीफाइनल में पहुँचने की उम्मीदें खत्म होने के बाद माल्या ने उम्मीद जताई है कि द्रविड़ की टीम कुछ मैच जीतकर प्रतिष्ठा बचाने की कोशिश करेगी।