8. ऐसी मान्यता भी है कि शबे बरात के दिन से ही रूहानी साल की शुरुआत हो जाती है।
9. इस दिन किसी भी प्रकार की आतिशबाजी, शोर शराबा या जश्न नहीं किया जाता है, क्योंकि यह इबादत की रात होती है।
10. इस मुबारक रात में गुस्ल, अच्छे कपड़े पहनना, इबादत के सुरमा लगाना, मिसवाक करना, इत्र लगाना, कब्रो की जियारत करना, फातिहा दिलाना, खैरात करना, मगफिरत की दुआ करना, तहज्जुद की नमाज पढ़ना, नफिल नमाजें पढ़ना आदि कई पवित्र कार्य किए जाते हैं।