वॉशिंगटन पोस्ट के हवाले से जानकारी मिली है कि हाल में जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट विश्व में अपनी स्वतंत्रता खोता जा रहा है। यह यूएस के लोकतंत्र समर्थक थिंक टैंक फ्रीडम हाउस द्वारा जारी की गई वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है।
उल्लेखनीय है कि पहले देश की सरकारें इंटरनेट पर निंदनीय एवं सोसाइटी के बड़े स्तर पर बवाल खड़े करने के चलते साइट को पूरी तरह से ब्लॉक कर देती थीं, पर समय के साथ अब इसमें भी परिवर्तन आया है, क्योंकि ऑनलाइन मीडिया में महारत रखने वाले शख्स अब ज्यादा शातिर हो चुके हैं।
फ्रीडम हाउस ने बताया कि शातिर लोगों की इन चालबाजियों के चलते सरकारों ने तकनीकी रूप से बिना सेंसर इंटरनेट को अपनाना शुरू कर दिया है जिसने विश्व के सरकारों की इंटरनेट पर संप्रभुता को मजबूत कर दिया है। अब लोग वही देख सकेंगे, जो सरकार चाहेगी।
इस दौरान फ्रीडम हाउस ने विश्व के 65 देशों पर सर्वेक्षण किया जिसमें पाया गया कि 36 देशों में इंटरनेट अपनी स्वतंत्रता को खोता जा रहा है। उदाहरण के रूप में रूस को ही ले लीजिए। रूस ने अपने अभियोजक जनरल को अनुमति दी है कि उग्रवादियों की वेबसाइट्स को तुरंत ब्लॉक किया जाए। इसके लिए वे न्यायिक निरीक्षण को भी आवश्यक नहीं समझा।
वहीं कजाकिस्तान ने भी एक ऐसे ही कानून को हरी झंडी दी है। नाइजीरिया ने कानून पास किया है कि साइबर कैफे वाले उनके कम्प्यूटर में इंटरनेट उपयोग करने वालों का पूरा लोखा-जोखा रखें। इन सबके साथ साल 2014 में इंटरनेट सुरक्षा व स्वतंत्रता के ऊपर यूएस में भी काफी बहस छिड़ी रही। इसको देखते हुए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि 2015 में यूएस भी इसकी चपेट में आ जाएगा।
हालांकि भारत में भी इंटरनेट की बाध्यताओं पर कुछ दिन के लिए शिकंजा कसा गया था, जब इंटरनेट में वायरल हुए वीडियो के चलते नॉर्थ-ईस्ट में दंगे भड़क गए थे। पर अब भारत में कानून में पहले की तरह ही ढील दे दी गई है। वहीं अंत में ब्राजील द्वारा भी इंटरनेट के बैन लगाने पर विश्व में इंटरनेट की स्वतंत्रता पर सवालिया निशान लगना शुरू हो गए हैं।