Artifical Intelligence News : हाल के वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की लोकप्रियता में वृद्धि के कारण लोग न केवल एआई के उपयोग के साथ अधिक सहज हो रहे हैं, बल्कि सक्रिय रूप से इसे अपने लाभ के लिए उपयोग करने के तरीके भी खोज रहे हैं। हालांकि ज्यादातर यूजर्स यह बात नहीं जानते कि AI डाटा सेंटर्स में पानी के साथ-साथ बिजली की भी बड़ी मात्रा खर्च होती है। बिजली के उपयोग से न सिर्फ कार्बन इमिशन बढ़ता है, बल्कि पानी की मांग भी बढ़ जाती है। पर्यावरण रिपोर्ट से पता चलता है कि 2021 से 2022 तक इसकी जल खपत में 34 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो लगभग 1.7 बिलियन गैलन तक पहुंच गई है।
खबरों के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डाटा सेंटर्स को अच्छे से काम करने के लिए ठंडा रखना जरूरी होता है, क्योंकि हैवी डाटा प्रोसेसिंग के चलते वे बहुत ज्यादा गर्म हो जाते हैं। इन्हें ठंडा करने के लिए कूलिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है, जिसमें साफ पानी की अहम भूमिका होती है। यह जरूरत मुख्य रूप से उन डाटा सेंटर्स में महसूस की जाती है, जहां AI मॉडल्स को प्रशिक्षित और संचालित किया जाता है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि संकेतों की प्रत्येक स्ट्रिंग इन AI सिस्टम को रखने वाले डाटा सेंटरों पर लगभग 16 औंस पानी का उपयोग करती है। पर्यावरण रिपोर्ट से पता चलता है कि 2021 से 2022 तक इसकी जल खपत में 34 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो लगभग 1.7 बिलियन गैलन तक पहुंच गई है। बिजली की खपत करने वाले डाटा सेंटरों द्वारा अनियंत्रित जल उपयोग दुनियाभर में पहले से ही गंभीर जल संकट को और बढ़ा सकता है।
उल्लेखनीय है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या AI, कंप्यूटर विज्ञान का वह क्षेत्र है जो ऐसे सिस्टम बनाने के लिए समर्पित है जो ऐसे कार्य करने में सक्षम हों जिनके लिए सामान्य रूप से मानव बुद्धि की आवश्यकता होती है। इसमें ऐसे एल्गोरिदम बनाना शामिल है जो सिस्टम को बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण और व्याख्या करने में सक्षम बनाते हैं।
Edited By : Chetan Gour