उस समय माना जाता था कि सिर्फ पुरुष ही इंजीनियर हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और 1909 में जर्मनी के रॉयल टेक्निकल अकादमी में दाखिले के लिए आवेदन किया। यहां उनका आवेदन स्वीकृत हो गया, लेकिन लड़की होने के कारण यहां भी उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा। यहां से डिग्री हासिल करने के वाद वे स्वदेश लौट आईं।