भारत में इंटनेट को 22 साल पूरे हो चुके हैं। जी हां, 15 अगस्त 1995 में देश में पहली बार इंटरनेट का इस्तेमाल हुआ था। आज इंटरनेट हमारी दैनिक दिनचर्चा में शुमार है और इस समय देश में भारत में सर्वाधिक रोजगार दे रहा है। इंटरनेट से भुगतान हो रहे हैं, बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, परीक्षा परिणाम देख रहे हैं, यात्रा की टिकट बुक हो रही है, अपनी शिकायतें सरकार तक पहुंचा रहे हैं और यहां तक कि कई महत्वपूर्ण सूचनाओं के साथ साथ आप खबर भी इंटरनेट पर ही पढ़ रहे हैं।
एक समय था, जब इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए साइबर कैफे जाना होता था, जो शहर में एक या दो की गिनती में ही होते थे और वे भी बहुत महंगे। आज उसी इंटरनेट के देश में आम लोगों के बीच पहुंचने की 22वीं सालगिरह है। इंटरनेट की शुरुआत में यह बेहद महंगा थश और स्पीड के साथ साथ इसके रेट में दो गुना, चार गुना बढ़ जाया करते थे।
जैसे प्रोफेशनल के लिए 9.6 केबीपीएस पांच हजार रुपए सालान चुकाने होते थे। इसी स्पीड को नॉन कर्मिशयल श्रेणी में पाने के लिए 15 हजार रुपए चुकाने होते थे। कमर्शियल इस्तेमाल के लिए इसी स्पीड के लिए 25 हजार रुपए तक का प्लान था। ये तो डायल अप कनेक्शन के रेट थे, अगर लीज़ लाइन चाहिए होती थी तो इसके लिए कमर्शियल कैटगेरी में छह लाख रुपए सालाना तक के प्लान थे।
सबसे पहले इंटरनेट की सेवाएं विदेश संचार निगम लिमिटेड था। हालांकि अब इसका नाम बदल चुका है और ये सरकारी कंपनी से स्वायत्त कंपनी बन चुकी है। कोलकाता में सबसे पहले इंटरनेट का आम इस्तेमाल किया गया, जब संचार के इस तीव्रतम साधन तक पहुंच आम लोगों तक सुनिश्चित की गई।
इंटरनेट की शुरुआत में लोग पहले सिर्फ कंप्यूटर के जरिए इंटरनेट से जुड़ पाते थे, लेकिन आज मोबाइल फोन के जरिये इंटरनेट लोगों की पॉकेट में पहुंच चुका है। इंटरनेट का इस्तेमाल सूचना प्रप्त करने से कहीं आगे निकल गया है और इसकी शुरुआत से लेकर अब तक इंटरनेट से भाषा बंधन भी पूरी तरह तोड़ दिए हैं। अब लगभग सभी भाषाओं में इंटरनेट सामग्री उपलब्ध है।