मोबाइल के बटन दबाने से रुकेंगी किसानों की आत्महत्याएं

मंगलवार, 7 अप्रैल 2015 (17:16 IST)
- पंकज चौधरी
  
देश के मुखतलिफ इलाकों से किसानों के आत्महत्या का सिलसिला थम नहीं रहा। बेमौसम बारिश का कहर उनकी खड़ी फसल  पर टूटा और देखते ही देखते उनकी आंखों के सामने सारी पैदावार मिट्टी में मिल गई। बहरहाल, उनकी‍ इन समस्याओं का  शर्तिया इलाज तो नहीं लेकिन कुछ हद तक समाधान करने का दावा करती हुई एक नई तकनीक कृषक जगत की दहलीज पर  दस्तक जरूर दे रही है।
   
अगर हम इस तकनीक पर विश्वास करें तो अब किसानों की मुट्ठी में वह सारी जानकारी होगी जिनकी उन्हें जरूरत है। मौसम  की जानकारी, बीज की उपलब्धता और उनकी गुणवता से लेकर उनके उपयोग करने के तौर-तरीकों तक की जानकारी होगी।  एक खास तकनीकी के जरिए, उनके मोबाइल और टैबलेट्‍स पर सूचनाओं का एक ऐसा चैनल दिखेगा जो उनके तमाम सवालों  का जवाब महज एक बटन दबाने से ही दे देगा।
 
अमेरिकी कंपनी 'एक्यूवेदर' और 'डायमोडिजिटल' ने एक भारतीय कंपनी 'कृषण एग्रीटेक' के साथ समझौता कर बाजार में एक  ऐसा मोबाइल फोन लाने का फैसला किया है जो किसानों के लिए निस्संदेह ही वरदान साबित होगा। इस एप्लीकेशन को   डायमोडिजिटल' की पुश टेक्नोलॉजी के जरिए मोबाइल फोन, स्मार्ट फोन और टैबलेट्‍स पर डाउनलोड किया जाएगा। 
 
डाउनलोडिंग की यह प्रक्रिया वहां की स्थानीय भाषा में होगी। इस तरह किसानों को उनके इस मोबाइल फोन पर स्थानीय भाषा  में नवीनतम और स्थानीय जानकारी प्राप्त हो सकेगी। अब तक किसानों को देश, राज्य के मौसम के बारे में जानकारी मिलती  थी लेकिन इस मोबाइल के जरिए उन्हें उनके जिला और गांव के मौसम की जानकारी भी दो-तीन दिन पहले मिल जाएगी।
 
इसके अलावा किसानों को उनकी फसल से संबघित तमाम जानकारी भी दी जाएगी। यहीं नहीं, फसलों के लिए उपकरणों की  उपलब्धता, बीज की कीमत और गुणवता, फसल में होने वाली बीमारी तथा उनकी रोक-थाम करने के तमाम उपायों की  सिलसिलेवार जानकारी किसानों को अब मिला करेगी। 
 
इतना हीं नहीं किसानों को उपलब्ध कराए गए इस हैंडसेट पर उनके नजदीकी सब्जी-मंडी का दर भी आसानी से मिलेगी ताकि  किसान खुद यह फैसला ले सकें कि किस मंडी में उन्हें फसल उतारने पर अधिकतम मुनाफा मिल सकेगा। इस सुविधा के  जरिए किसान सीधे-सीधे खरीददार से संपर्क साध सकेंगे और बिचौलिए की भूमिका समाप्त की जा सकती है।
 
कृषि क्षेत्र से जुड़े तमाम उद्योग-धंधे भी इससे लाभन्वित हो सकेंगे। किसानों को ट्रैक्टर, पम्पिंग सेट, मरम्मती काम से जुड़े  लोग भी किसानों के साथ सीधा संपर्क साध सकेंगे। इस तरह स्थानीय सेवा देने वाले और कृषक समुदाय एक-दूसरे के साथ जुड़े  रहेंगे और अपनी तरक्की कर सकेंगे। 
 
इस मोबाइल की कीमत दो हजार तीन सौ रुपए से शुरू होगी। सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि मीडिया, फिल्म जगत और निर्माण  उद्योग से जुड़े लोगों के लिए भी यह तकनीक काफी मददगार साबित हो सकेगी। ऐसी जगहों पर जहां मोबाइल नेटवर्क नहीं हो  वहां से वॉकी-टॉकी की तरह भी काम करने लगेगा। 
 
जंगलों में इस मोबाइल फोन का इस्तेमाल बतौर वॉकी-टॉकी भी हो सकता है। इस मोबाइल फोन को महाराष्ट्र के दो जिलों में  उतारा जा चुका है। कंपनी के मुताबिक किसानों के बीच इसका अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। फिलवक्त, इस मोबाइल को दिल्ली  के प्रगति मैदान में लोगों को समझाने के लिए एक प्रदर्शनी में लाया गया है।
 
इस मोबाइल की खसियत यह है कि धूल-मिट्टी और पानी का असर इस पर बिलकुल ही नहीं पड़ेगा। साथ ही यह वॉटरप्रूफ भी  होगा। निस्संदेह ही उस तकनीकि के जरिए, जहां एक तरफ किसानों को मदद मिलेगी वहीं दूसरी तरफ प्राकृतिक आपदा से  दो-दो हाथ करने की ताकत भी उनमें आएगी। 
 

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