इंदौर में अब तक 28 केस, करोड़ों लूटे, रिकवरी सिर्फ 70 लाख
कैसे सायबर सेल और पुलिस को चकमा दे रहे शातिर ठग?
पुलिस के पास तकनीक नहीं या सायबर अपराधी ज्यादा सक्षम?
why Digital arrest cases are not being resolved : इंदौर समेत Digital Arrest के मामले देशभर में बेइंतहा तरीके से बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन ऐसे सायबर अपराध को रोकना पुलिस के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। सायबर सेल से लेकर क्राइम ब्रांच की पूरी टीम मिलकर भी इन मामलों को न तो रोक पा रही है और न ही सुलझा पा रही है।
इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिर्फ इंदौर में ही पिछले कुछ दिनों में डिजिटल अरेस्ट कर सायबर ठगी के कुल 28 मामले सामने आ चुके हैं। एक तरफ सायबर सेल और क्राइम ब्रांच लगातार शहर के स्कूल-कॉलेज और विभिन्न संगठनों के माध्यम से जागरूकता अभियान चला रही है तो वहीं सायबर ठग बहुत शातिराना तरीके से लोगों से लाखों लोगों को ठग कर पुलिस को चकमा दे रहे हैं। कुल मिलाकर डिजिटल अरेस्ट के मामलों तेजी से बढ़ रह हैं और पुलिस इनके सामने पस्त और बेबस नजर आ रही है। हाईटेक ठग लगातार नागरिकों को शिकार बना रहे। सवाल यह है कि है कि आखिर क्यों पुलिस के लिए यह इनता चुनौतीपूर्ण हो गया है।
सिर्फ 7 आरोपी गिरफ्त में : इंदौर में घटे डिजिटल अरेस्ट के 28 मामलों में पुलिस को अब तक कोई खास सफलता नहीं मिल सकी है। ज्यादातर मामलों में आरोपी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। आधुनिक तकनीक से लैस सायबर सेल के बावजूद पुलिस ठगी के शिकार लोगों को उनकी राशि नहीं दिला पा रही है। 1 जनवरी से अब तक इंदौर में डिजिटल अरेस्ट के 28 मामलों में सिर्फ 7 आरोपियों को गिरफ्त में ले सकी है।
करोड़ों में से सिर्फ 70 लाख की रिकवरी : बता दें कि इन 28 मामलों में ठगी की मदद से अपराधियों ने 2 करोड़ 40 लाख रुपए से ज्यादा की धन राशि लूट ली है, जिसमें से पुलिस सिर्फ 70 लाख की राशि ही पीड़ितों को दिलवा पाई है। आलम यह है कि अब सरकार को टीवी में विज्ञापन जारी कर जागरूकता अभियान चलाना पड़ रहा है। राजेश दंडोतिया, एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच ने बताया कि क्राइम ब्रांच और सायबर सेल लगातार इन घटनाओं को रोकने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हम लगातार सायबर क्राइम के तरीकों को लेकर स्कूल, कॉलेज और कई संगठनों के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जहां तक इंदौर के सायबर क्राइम या डिजिटल अरेस्ट के मामलों की बात है तो हमने अब तक 7 आरोपियों को गिरफ्त में लिया है, 34 बैंक खातों और 1400 सिम कार्ड के बारे में पता चला है। कुछ राज्यों में नेटवर्क और लोकेशन मिली है। जल्दी ही हम अपराधियों को ट्रैक करेंगे।
सायबर कमांडो के भरोसे सरकार : सायबर फ्रॉड के बढ़ते ग्राफ से परेशान केंद्र सरकार ने अब देश में पहली बार साइबर कमांडो तैयार करने की योजना बनाई है। फिलहाल 1000 कमांडो की ट्रेनिंग शुरू भी हो चुकी है। ये कमांडोज डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों में मौके पर पहुंच अपराधी को दबोचने का काम करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया है कि अगले 5 सालों में सरकार 5 हजार साइबर कमांडो तैयार करेगी। हालांकि यह योजना कितनी कारगर होगी और कब तक लागू होगी यह तो आने वाला वक्त ही बता सकेगा।
गलती न करें, खुद ही बचना होगा : सायबर क्राइम आज पूरे देश की पुलिस के लिए चुनौती बन गया है। मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली और यूपी के लखनऊ से लेकर पंजाब- हरियाणा और गुजरात तक सायबर अपराधी बेहद शातिर तरीके से ठगी को अंजाम दे रहे हैं। अब तो डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक जैसे पढे लिखे लोग तक इसका शिकार हो रहे हैं। इस बारे में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हम जितना डिजिटाइजेशन की तरफ आगे बढ़ते जाएंगे, इस तरह के अपराधों में भी बढ़ोतरी होगी, मगर इसे रोकने और साइबर सिक्योरिटी को मजबूत बनाने, साइबर अटैक को रोकने और इनमें शामिल लोगों की पहचान करने के लिए हम कई प्रभावी कदम उठाने होंगे। ज्यादातर साइबर अपराध किसी अपनी ही गलती की वजह से होते हैं। इसलिए साइबर अपराधों से बचने के लिए खुद भी सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।
Digital Arrest से कैसे बचें?
अनजान सोर्स से आए हुए किसी लिंक पर क्लिक न करें।
अनजान फोन कॉल पर अपनी पर्सनल या बैंक डिटेल्स न दें।
पर्सनल डेटा, किसी भी ट्रांजेक्शन प्लेटफॉर्म पर मजबूत पासवर्ड लगाएं।
कोई भी थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड ना करें।
किसी भी अन-ऑफिशियल प्लेटफॉर्म से कुछ इंस्टॉल ना करें।
अपने डिवाइस को अपडेटेड रखें, अपने ऐप्स को अपडेट रखें।
शक होने पर तुरंत फ़ोन काट दें और नंबर ब्लॉक कर दें।
साइबर क्राइम होने पर इसकी शिकायत पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करें