पोकेमॉन से ऐसे हो रही है कंपनियों की आय

पोकेमॉन गेम फ्री है तो कंपनियों को कैसे होती है आय? अगर यह सवाल आपके मन में भी है तो जानिए जवाब। 


 
 
इन गेम्स की डाउनलोडिंग फ्री होती है। कई कंपनियां ये काम आसानी से करती हैं परंतु पैसे कमाना आसान नहीं। पोकेमॉन गो ऐसा गेम है जिसमें कंपनी की खूब आय हुई। ऐसा सभी वीडियो गेम कंपनियां करना चाहती हैं। ऐसे में अंतराष्ट्रीय गेमिंग कंपनियों ने स्मार्टफोन से पैसे कमाने के लिए यह तरीका खोज लिया है। 
 
दो ऑप्शन कठिन पड़ाव के : जब भी पोकेमॉन गो, टेम्पल रन, सबवे सर्फर या एंग्री बर्ड्स जैसे गेम खेले जाते हैं तो कठिन पड़ाव को पार करने के लिए दो तरह के ऑप्शन मिलते हैं। जिसमें थोड़े पैसे देकर उसे पार कर लें या कई घंटे बिगाड़ कर वहां से निकलने का तरीका खोजें। 
 
गेम का फ्री-मियम मॉडलऑनलाइन गेमिंग और ऐप वर्ल्ड में यह फ्री-मियम मॉडल कहलाता है। जितनी बार भी गेम फ्री डाउनलोड होता है, गेम कंपनियां उसका रिकार्ड रखती हैं। इसके बाद गेम की पॉपुलेरिटी का अंदाजा आसानी से लगाती हैं। धीरे धीरे लोगों को गेम की आदत पड़ जाती है। जैसे ही थोड़ा भी समय मिलता है लोग उसमें डूब जाते हैं। 
 
वर्चुअल करेंसी का दानाआसानी से रुपए लेने के लिए वर्चुअल करेंसी का दाना कंपनियां डालती हैं। इस करेंसी को यूजर को खरीदना होता है। अगर आपने 100 रुपए खर्च किए हैं तो हो सकता है गेम में आपके पास 800 से भी अधिक सिक्के हों। ये कई बार इस्तेमाल होंगे। 
 
युवा बनते हैं टारगेट : गेम की डिजाइन इस तरह की होती है कि आपको मुश्किल आए। थोड़ी देर सिर खपाने के बाद आप पैसे खर्च करने को तैयार हो जाते हैं। ऐसे लोग कुछ पांच प्रतिशत के आसपास होते हैं। कंपनियां इन्हीं को टारगेट करती हैं। खासतौर पर युवा पैसे खर्च करने को तैयार हो जाते हैं। 
 
अधिक रोचक गेमकंपनियां फ्री गेम के आधार पर डेटा इकट्ठा कर अधिक रोचक गेम बनाती हैं। सबसे अधिक क्या पसंद किया गया इसका हिसाब रखकर गेम को डिजाइन करती हैं। इसके हिसाब से ही वर्चुअल कंरेसी के दाम तय करती हैं। 
 
गेम  डेवलपर को आपके देश और फोन की कंपनी की तक खबर है। कीमत भी उसी हिसाब से तय होती है। उदाहरण के लिए, एंग्री बर्ड्स ने कई प्रोडक्ट के साथ ब्रांडिंग की और धन कमाया। जिसे बाद में इसी नाम की एक फिल्म के लिए इस्तेमाल किया गया। 

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