क्या भविष्य मालिका की भविष्यवाणी जुड़ी है जगन्नाथ मंदिर के 10 संकेतों से?

WD Feature Desk

मंगलवार, 17 जून 2025 (14:52 IST)
bhavishya malika in hindi: ओड़िसा में भगवान चैतन्य महाप्रभु के 5 शिष्य हुए हैं जिन्हें पंच शखा कहते हैं। ये सभी भगवान जगन्नाथ के भक्त रहे हैं। इन पंच सखा में से एक थे संत अच्युतानंद दास। अच्युतानंद दास का जन्म 10 जनवरी 1510 को ओड़ीसा के जगन्नाथ पुरी में हुआ था और उनका निधन 1631 में हुआ था। संत अच्युतानंद दास जी ने हरिवंश, केबार्ता गीता, गोपलंकाओगलाब, गुरु भक्ति गीता, अनाकार संहिता, 46 पटल आदि शामिल है। उन्होंने भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्यकाल पर अलग अलग रचनाएं भी की हैं जिन्हें मालिका के नाम से जाना जाता है। भविष्यकाल पर की गई रचना को भविष्य मालिका कहने लगे हैं। कहते हैं कि संत अच्युतानंद दास ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर को केंद्र में रखकर कई भविष्‍यवाणियां की है। क्या है वे संकेत? 
 
भविष्य मालिका के अनुसार धरती 3 चरणों से गुजर रही है। पहला कलयुग का अंत होगा, दूसरा महाविनाश होगा और तीसरा आएगा एक नया युग। मान्यता है कि पुरी के जगन्नाथ से जो भी शुभ या अशुभ संकेत मिलते हैं, वह पूरे जगत में होता है। ALSO READ: भविष्‍य मालिका की 6 भविष्‍यवाणियां हुईं सच, जगन्नाथ मंदिर को केंद्र में रखकर की गई हैं भविष्‍यवाणियां
 
जगन्नाथ पुरी मंदिर के संकेत:- 
  1. जब भगवान जगन्नाथ का अपमान होगा, मंदिर की परंपराओं में अव्यवस्था होगी।
  2. जगन्नाथ पुरी मंदिर के पत्थर गिरेंगे।
  3. ओडिशा में चक्रवाती तूफान से कल्पवृक्ष यानी पवित्र बरगद का पेड़ गिर जाएगा, तब लोग मरने लगेंगे। 
  4. जगन्नाथ मंदिर का झंडा कई बार गिरेगा और एक चक्रवाती तूफान के कारण झंडा समुद्र में जा गिरेगा। 
  5. जगन्नाथ मंदिर का सुदर्शन चक्र तूफान से टेढ़ा हो जाएगा। 
  6. जगन्नाथ पुरी के मंदिर के झंडे में आग लग जाएगी। 
  7. मंदिर परिसर में त्रिदेव के ऊपर जो कपड़ा है, उसमें आग लग जाएगी। 
  8. मंदिर के शिखर पर एकाश्म स्तंभ पर गिद्ध बैठेगा। 
  9. जगन्नाथ के मंदिर में बार-बार रक्तपात होगा, खून के धब्बे मिलेंगे। 
  10. जब ऐसे होगा तो समझना की कलयुग के अंत की शुरुआत हो चुकी है।
  11. उपरोक्त प्रत्येक घटना से एक भविष्यवाणी भी जुड़ी है।
 
जगन्नाथ पुरी मंदिर से मिलते हैं भविष्य के शुभ और अशुभ घटनाओं के संकेत:
1. जगन्नाथजी का अपमान: जब भगवान जगन्नाथ का अपमान होगा, मंदिर की परंपराओं में अव्यवस्था होगी। जगन्नाथ मंदिर में प्रतिवर्ष नवकलेवर की रस्म होती है। इस रस्म में पुरानी मूर्तियों को बदलकर नई मूर्तियां स्थापित की जाती है। कहते हैं कि 1996 के बाद 2015 में इस रस्म को लेकर पुजारियों में झगड़ा हो गया था। जिसकी वजह से यह रस्म देरी से हुई। ओड़िशा में कई लोगों ने इसे भगवान जगन्नाथ के अपमान और परंपराओं को खंडित करने के तौर पर देखते हैं। इसके बाद यहां की अव्यवस्था सभी के सामने उजागर हुई।
 
2. गुंबद के पत्‍थर: जगन्नाथ पुरी मंदिर के गुंबद से नीचे पत्थर गिरेंगे। कहते हैं कि वर्ष 1842 से लेकर अब तक लगभग 15 से 16 बार जगन्नाथ पुरी से पत्थर गिरने की घटना हो चुकी है।
 
3. बरगद का पेड़: ओड़ीसा में चक्रवाती तूफान से जगन्नाथ मंदिर का कल्पवृक्ष यानी पवित्र बरगद का पेड़ गिर जाएगा और इसके बाद दुनिया में लाखों लोग मरने लगेंगे। ओड़िसा में मई 2019 में फानी नाम का एक तूफान आया था जिसमें यह बरगद का पेड़ गिर गया था। उन्नीस के अंत में ही करोना महामारी का प्रकोप प्रारंभ हुए था और लोगों के मरने का सिलसिला प्रारंभ हो गया।
 
4. ध्वज का गिरना: जगन्नाथ मंदिर का झंडा कई बार गिरेगा और एक चक्रवाती तूफान के कारण झंडा समुद्र में जा गिरेगा। मई 2019 में चक्रवाती तूफान फानी के कारण यह घटना घट चुकी है। इसके बाद मई 2020 में भी यह घटना घट चुकी है। इसके बाद वर्ष 2025 में यह घटना घटी थी।
 
5. नीलचक्र का टेड़ा होना: जगन्नाथ मंदिर का नीलचक्र यानी सुदर्शनचक्र तूफान से टेड़ा हो जाएगा। मई 2019 में समुद्री तूफान फानी के कारण यह विशालकाय चक्र टेड़ा हो गया था। 
 
6. ध्वज का जलना: जगन्नाथ पुरी के मंदिर के ध्वज में आग लग जाएगी। 19 मार्च 2020 को पापनाशक एकादशी के दिन मंदिर के परिसर में महादीप लगाया गया था। अचानक हवा चलने से ध्वज उड़कर महाद्वीप के पास चला आया और उसमें आग लग गई। उस समय इसे बहुत बड़ा अनिष्ट माना गया था। उसके पांच दिन बाद देश में पहला लॉकडाउन लग गया था। इसके बाद ही भारत में दूसरी लहर का ऐसा मंजर देखा गया जिसने त्राही मचा दी थी। चारों तरफ चिताएं जल रही थीं।
 
7. त्रिदेव के वस्त्र: मंदिर परिसर में त्रिदेव के ऊपर जो कपड़ा है उसमें आग लग जाएगी। मंदिर परिसर में यह घटना भी कई बार हो चुकी है। 
 
8. गिद्धा का गुंबद पर बैठना: मंदिर के शिखर पर और एकाश्म स्तंभ पर गिद्ध बैठेगा। कहते हैं कि जगन्नाथ मंदिर के शिखर के आसपास कभी भी किस पक्षी को उड़ता नहीं देखा गया और न ही इसके आसपास कोई प्लेन या हेलिकॉफ्टर उड़ाया जाता है। लेकिन मंदिर के उपर जुलाई 2020 और इसके बाद दिसंबर 2021 में गिद्ध, चील और बाज‍ दिखाई दिए। मंदिर के शिखर, ध्वज, एकाश्म स्तंभ और नीलचक्र पर ये पक्षी बैठे हुए दिखाई दिए थे। 
 
9. रक्त के धब्बे: जगन्नाथ के मंदिर में बार-बार रक्तपात होगा, खून के धब्बे मिलेंगे। यह घटना भी घट चुकी है। मंदिर परिसर में बार बार खून के धब्बे मिल रहे हैं। कभी झगड़ों के कारण तो कभी किसी अन्य रहस्यमयी वजह के चलते खून के धब्बे देखे गए। कई बार मंदिर का शुद्धिकरण करके महानुष्ठान किया गया है। हाल ही में मंदिर के एक पुजारी की हत्या कर दी गई जो कि मुख्‍य रसोइये थे।
 
10. गगन होंगे गादी पर: अच्युतानंद महाराज ने 500 साल पहले ही बताया दिया था कि जब मंदिर की गादी पर गगन नामक सेवक होंगे और ओड़िसा के दिव्यसिंह राजा गादी पर होंगे तब भारत पर आक्रमण होगा। ओड़िशा पर जो बम गिराएं जाएंगे वह काम नहीं करेंगे। भारत ही अंत में जीत जाएगा। उस वक्त भारत की बागडोर एक संत के हाथों में होगी जो अविवाहित होगा। वही संपूर्ण क्षत्रप होगा।
 
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में ओड़िसा के राजा दिव्यसिंह गजपति गादी पर विराजमान हैं और गगन नामक सेवक भी जगन्नाथ मंदिर की गादी पर विराजमान हैं। ओड़िसा में ऐसी जनश्रुति है कि वर्ष 2024 से लेकर 2033 तक दुनिया में सबकुछ बदल जाएगा।
 
उपरोक्त सभी भविष्वाणियां सत्य हो गई हैं। इसका मतलब यह कि कलयुग का अंत आ चुका है और विनाश का समय अब प्रारंभ होगा। भारत के कुछ राज्यों में प्राकृतिक आपदा के साथ ही जातीय संघर्ष के कारण राजनीतिक उथल पुथल होगी और सत्ता परिवर्तन भी होगा।

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