अपरिग्रहव्रत के अतिचार

क्षेत्र और वास्तु के परिमाण का अतिक्रम- क्षेत्र यानी खेती लायक जमीन। वास्तु यानी रहने लायक मकान आदि। दोनों का जो परिमाण सोचा हो, लोभ में आकर उस सीमा को पार कर जाना।

हिरण्य और सुवर्ण के परिमाण का अतिक्रम- सोने-चाँदी के परिमाण का व्रत लेते समय उसकी जो सीमा बनाई हो, उसे पार कर जाना।

धन-धान्य के परिमाण का अतिक्रम- गाय-भैंस आदि धन और धान्य रखने का व्रत लेते समय जो सीमा बाँधी हो उसे पार कर जाना।

दास-दासी के परिमाण का अतिक्रम- दास-दासी की संख्या आदि के लिए व्रत के समय जो मर्यादा रखी हो, उसे पार कर जाना।

कुप्य के परिमाण का अतिक्रम- कपड़ों, बर्तनों आदि के लिए व्रत के समय जो सीमा रखी हो, उसे पार कर जाना।

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