महाभारत काल और दूसरे विश्‍व युद्ध के जैसे ग्रह संयोग, कैलेंडर भी कर रहा है मैच, क्या जीत जाएंगे हम ये जंग?

WD Feature Desk

बुधवार, 18 जून 2025 (13:10 IST)
वर्तमान में ग्रह और नक्षत्रों की ऐसी स्थिति बनी है जो कि 5 हजार वर्ष पूर्व महाभारत काल में बनी थी। इसके बाद यदि आधुनिक काल की बात करें तो प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बनी थी। यानि जब भी यह ग्रह स्थिति बनी है तो विश्‍व युद्ध हुआ है और साथ ही कई अन्य बड़ी घटनाएं भी घटी है। वर्ष 2025 में भी ग्रहों की ऐसी ही स्थिति बनी है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि तबाही का समय आ गया है क्या? क्या भारत इस मुश्‍किल दौर से बाहर निकल पाएगा?
 
वर्तमान के घटनाक्रम: रशिया-यूक्रेन के बीच युद्ध, इजराइल-गाजा हमास के बीच युद्ध, ईरान इजरायल के बीच युद्ध, भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध, देश और दुनिया में आतंकवादी हमले, चीन ताइवान के बीच तनाव, बांग्लादेश जैसे देशों में तख्ता पलट, इस्लामिक कट्टरपंथ, अवैध प्रवासियों का हिंसक आंदोलन आदि। इसके साथ ही भूकंप, बाढ़, ज्वालामुखी विस्फोट और भयानक आंधी तूफान के चलते जलवायु परिवर्तन भी देखने को मिल रहा है।
 
1941 और 2025 के कैलेंडर में समानता:
वर्तमान में 2025 का कैलेंडर 1941 के कैलेंडर से हूबहू मैच कर रहा है। इसके दिन और हफ्‍ते हूबहू है। 1941 में विश्‍व युद्ध चल रहा था तब जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बल पर हमला किया था जिसमें 2400 अमेरिकी मारे गए थे। इसके बाद युद्ध का रूख ही बदल गया था। हालांकि विद्वानों का मानना है कि यह एक गणितीय संयोग है। इस तरह से कैलेंडर मैच पहले भी कई हुए हैं लेकिन उनका घटनाक्रम से कोई संबंध नहीं रहा है।
 
ग्रह नक्षत्रों के गोचर की समानता: 
महाभारत काल में बृहस्पति ग्रह 7 वर्षों के लिए अतिचारी हुए थे। गुरु का अतिचारी होना युद्ध के साथ ही जलवायु परिवर्तन को भी जन्म देता है। इसके बाद प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी गुरु अतिचारी हुए थे। दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान शनि का मीन योग और मेष योग बना था। वर्तमान में 29 मार्च 2025 को शनि ने मीन राशि में गोचर किया है। महाभारत के दौरान पूर्ण सूर्य ग्रहण का योग भी बना था। 
 
हाल ही में 29 मार्च 2025 शनिवार के दिन शनि ग्रह ने कुंभ से निकलकर मीन राशि में गोचर किया है। इसी दिन सूर्य ग्रहण भी था। कहा जा रहा है कि शनि का द्वादश भाव में गोचर ढाई वर्षों तक रहेगा जोकि अशुभ फल देगा। शनि जब भी मीन राशि में गोचर करता है तो देश में बड़े भूकंप और युद्ध का खतरा बना रहता है। मेष में जाने के बाद महायुद्ध होता है। इसके बाद 14 मई 2024 बुधवार को बृहस्पति ग्रह वृषभ से निकलकर मिधुन राशि में प्रवेश किया है तब से 3 गुना अतिचारी होकर 18 मार्च 2033 तक यानी 8 वर्षों तक मिथुन सहित अन्य राशियों में अतिचारी रहेंगे। इन 8 वर्षों में वे धरती पर सबकुछ बदलकर रख देंगे। इसके बाद 18 मई को राहु का कुंभ में गोचर होगा। ऐसी स्थिति महाभारत काल में बनी थी। 
अतिचारी बृहस्पति की असामान्य गति:
महाभारत काल में यानी 5000 हजार वर्ष पहले गुरु 7 राशियों में 7 वर्ष तक अतिचारी रहे थे। जिसके चलते महायुद्ध हुआ था। करीब 1000 वर्ष पहले भी गुरु अतिचारी हुए थे तब भी बड़े बदलाव हुए थे। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भी बृहस्पति की असामान्य गति थी। पिछले कुछ वर्ष पहले यानी 2018 से लेकर 2022 तक बृहस्पति 4 राशियों में अतिचारी थे। इन वर्षों में जो हुआ वह सभी ने देखा है। वर्ष 2019 से ही देश और दुनिया में तेजी से बदलाव हुआ है। कोरोना महामारी के बाद तो दुनिया पूरी तरह से बदल गई है। बताया जा रहा है कि वर्ष 2025 में बदलाव का दूसरा चरण प्रारंभ होगा। ज्योतिष की दृष्टि से 2025 और 2026 को सबसे खतरनाक वर्ष बताया जा रहा है। क्योंकि इसी दौरान शनि, गुरु, राहु और केतु का महापरिवर्तन, मार्गी और वक्री चाल देश और दुनिया के बदल देगा हाल। 
 
अतिचारी बृहस्पति की इस असामान्य गति से धरती पर हलचल बढ़ जाएगी। बृहस्पति ग्रह जीवन, शीतलता, सुख, समृद्धि, उन्नति और बुद्धि प्रदान करता है परंतु जब इसकी चाल बिगड़ जाए तो भारी नुकसान देखने को मिलते हैं। बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन के चलते धरती के मौसम और तापमान में बदलाव हो जाएगा। लोगों की मानसिक स्थिति गड़बड़ा जाएगी। इसके चलते महायुद्ध तय माना जा रहा है। 
 
इस युद्ध में भारत की विजयी होगी क्योंकि इसके कई कारण है। पहला यह कि भारत की कुंडली में मंगल अपनी प्रबल स्थिति में है और यदि नरेंद्र मोदी पीएम बने रहते हैं तो उनकी कुंडली में भी मंगल की स्थिति स्ट्रांग है। इतिहास उठाकर देख लें कि मोदी का जो भी दुश्मन बना है उसके बुरे दिन शुरू हो चले हैं, क्योंकि मोदी जी की कुंडली में नीच भंग राजयोग के साथ ही मंगल अपने पूर्ण पराक्रम में विराजमान है।
 
भविष्य मालिका:
भविष्‍य मालिका के अनुसार शनि मीन के योग में तीसरा विश्‍व युद्ध प्रारंभ होगा। तीसरा विश्वयुद्ध 6 साल 6 माह तक चलेगा। चीन 13 मुस्लिम देशों के साथ मिलकर भारत पर हमला कर देगा। आखिरी के 13 माह भारत युद्ध में शामिल होगा और यह भारत की लड़ाई होगी। भारत की इसमें विजय होगी। भारत सदा के लिए अपने दुश्मनों को न सिर्फ खत्म कर देगा बल्कि विश्‍व गुरु भी बन जाएगा।
 

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