दिगंबर जैन समाज के पर्वाधिराज पर्युषण पर्व सोमवार से प्रारंभ हुए। सभी दिगंबर जैन जिनालयों पर सुबह भगवान के अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजन के साथ प्रवचन, दोपहर में तत्वार्थ सूत्र का वाचन एवं रात्रि में प्रतिक्रमण, महाआरती व सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। पर्युषण आत्म जागृति का पर्व है। पहले दिन उत्तम क्षमा धर्म मनाया गया।
जिस प्रकार णमोकार मंत्र सब मंत्रों का राजा है उसी तरह दशलक्षण पर्व सभी पर्वों में मुख्य है। आपने कहा कि भूल होना मानव का स्वभाव है पर जानकर भूल करना नादानी है। इन पर्वों के माध्यम से ही हम अपनी गलतियों को सुधार सकते हैं। दशलक्षण पर्व के प्रथम दिन उत्तम क्षमा को स्थान दिया गया है और अंतिम दिन क्षमावणी पर्व मनाया जाता है क्योंकि क्षमा धर्म से ही क्रोध पर काबू पाया जा सकता है।
पर्वों को मनाना हमारा तभी सार्थक होगा जब हिंसात्मक प्रवृत्तियों से बचने के साथ परिणामों में निर्मलता लाकर अपनी कषायों को कम करें व संयम की डगर पर चलें। क्षमा वीरों का आभूषण है। यह अंतरंग का विषय है। क्षमा के अभाव में त्याग, तपस्या, नियम सब व्यर्थ हैं।