बावनगजा में संतों की खासी नाराजी

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सिद्धक्षेत्र बावनगजा में संतों की खासी नाराजी देखने को मिल रही है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि सोमवार को नाराज होकर आचार्यश्री सिद्धांतसागरजी ने 28 संतों के साथ विहार कर दिया था, वहीं मंगलवार को चार और साधु कूच कर गए।

नाराज संत जहाँ अभिषेक व्यवस्था और उपाध्यायश्री गुप्तिसागरजी पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं, वहीं उपाध्यायश्री का कहना है कि मुझे जनकल्याण का सोचना है। आरोप महज मन का मैल है। मंगलवार शाम 4.20 बजे जब आचार्य श्री माधर्वनंदीजी और आचार्यश्री आर्जवनंदीजी तीर्थ से विहार कर रहे थे, तो उनसे ब़ड़वानी और बावनगजा मार्ग पर चर्चा हुई।

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हम इसलिए कूच कर रहे हैं कि जन्मकल्याणक महोत्सव के दौरान बावनगजा कमेटी और श्री गुप्तिसागरजी से बात हो गई थी कि महामस्तकाभिषेक पंचामृत व सप्तरंगी ही होगा, लेकिन वे अपनी बात से मुकर गए। उनका कहना था कि गुप्तिसागरजी हमसे पद और प्रतिष्ठा हर प्रकार से छोटे हैं, तो फिर वे अभिमान क्यों करते हैं। जब हमारी बातें मानना ही नहीं है, तो हमें क्यूँ बुलाया?
  सिद्धक्षेत्र बावनगजा में संतों की खासी नाराजी देखने को मिल रही है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि सोमवार को नाराज होकर आचार्यश्री सिद्धांतसागरजी ने 28 संतों के साथ विहार कर दिया था, वहीं मंगलवार को चार और साधु कूच कर गए।      


हमारे साथ धोखा हुआ है
इधर आचार्यश्री सिद्धांतसागरजी विहार कर बावनगजा के समीप स्थित पार्श्वगिरिजी में रुके हुए हैं। उन्होंने विशेष चर्चा में कहा कि हमारे साथ धोखा हुआ है। 27 जनवरी के महामस्तकाभिषेक में श्री गुप्तिसागरजी ने धोखे से हमें स्वयं के नीचे बैठाया और खुद ऊँचे आसन पर बैठ गए। यह सब उन्होंने सारे संतों को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सामने सीधे बैठने और पीछे नहीं देखने के निवेदन के साथ किया था। इसलिए हमने पीछे नहीं देखा और वे सारे जनसमूह के बीच स्वयं को ब़ड़ा और बाकी आचार्यों को बौना सिद्ध करने का कुत्सित प्रयास करते रहे।

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उन्होंने कहा कि इसी बात से नाराज होकर हमने महामस्तकाभिषेक के मुख्य आयोजन के पूर्व ही एक महिला से पंचामृत अभिषेक करा दिया था। आचार्यश्री ने बावनगजा कमेटी पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सारे संतों को बुलाने के पीछे कमेटी और श्री गुप्तिसागरजी की मंशा 4 करो़ड़ रुपए की राशि जुटाना थी, क्योंकि वे अकेले के बूते इतनी राशि नहीं जुटा पा रहे थे।

उन्होंने कहा कि पूर्व में महामस्तकाभिषेक सप्तरंगी ही होने वाला था, इसके लिए 9000 नारियल और अष्ट गंध सहित कई सामग्रियाँ पहुँच भी चुकी थी किंतु अचानक ये सामग्री गायब हो गई। इस बात को उन्होंने गुप्तिसागरजी से भी कहा था और रिपोर्ट दर्ज कराने की बात रखी थी, लेकिन वे इस बात को टाल गए। उन्हें इसका भी जवाब देना चाहिए।

आचार्यश्री ने कहा कि उन्हें लगता है कि आचार्यों को भेजने में भी जो ब़ड़ा खर्च होता है, उसे बचाने के लिए ही संतों को नाराज किया जा रहा है ताकि वे विहार कर जाएँ और कमेटी का पैसा बच जाए। उन्होंने कहा कि अब मैं कभी गुप्तिसागरजी पर विश्वास नहीं करूँगा और अपने अनुयायियों से भी मेरा निवेदन है कि वे बहकावे में न आएँ।

हमने किसी को नहीं बुलाय
इधर जब उपाध्यायश्री गुप्तिसागरजी से चर्चा की गई, तो उन्होंने सविस्तार आरोपों का जवाब दिया। उनका कहना था कि हमने किसी को नहीं बुलाया, जो भी आया वह इस अनूठे आयोजन का पुण्य लाभ लेने आया है। जिसे रहना है, रहे और जाना है जाए। उन्होंने पद का अनादर करने के आरोप में कहा कि यह जरूरी नहीं कि आचार्य की उपाधि मिल जाने से ही सब कुछ हो जाता है। बर्ताव भी ऐसा होना चाहिए। मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है कि मैं किसी की गरिमा को ठेस पहुँचाऊँ। हाँ, लेकिन कोई जाता है, तो मनाऊँगा भी नहीं।

उन्होंने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि जो सामग्री आई ही नहीं, तो उसकी चोरी की बात कहना बेमानी है। सिद्धांतसागरजी नासमझ हैं, जिस सामग्री की वे बात कर रहे हैं, वह तो मँगाई ही नहीं गई थी क्योंकि पंचामृत अभिषेक का कार्यक्रम हमने बदल दिया था। उपाध्यायश्री ने यह भी कहा कि जहाँ तक 4 करो़ड़ रुपए जुटाने की बात है, तो हमारा ध्यान रुपए जुटाने में नहीं, आयोजन का पुण्य लाभ मिले, इसमें था। आज जिन आचार्यों ने विहार किया, उस बारे में उन्होंने बस इतना कहा कि वे इस बारे में नहीं जानते।

आज सुबह होंगे अभिषे
आचार्यश्री सिद्धांतसागरजी ने दावा किया कि बुधवार को सुबह 7.30 बजे आचार्य श्री चैत्यसागरजी, आचार्य श्री पद्मनंदजी व अमितसागरजी अभिषेक करेंगे। गुप्तिसागरजी ने कहा कि बावनगजा क्षेत्र कमेटी के हाथ में है। जब तक कमेटी नहीं चाहेगी, तब तक कैसे अभिषेक होगा। उनका कहना है कि यह ऐसी बात है कि कोई मेहमान मेजबान के घर पर हक जताए।

उपाध्यायश्री हैं टीम के कप्ता
बावनगजा महोत्सव समिति के कार्याध्यक्ष श्री शेखरचंद पाटनी का कहना है कि आचार्यश्री सिद्धांतसागरजी ने जो भी आरोप कमेटी पर लगाए हैं, वे उनका महज गुस्सा हैं। वैसे भी ये सारे काम उपाध्यायश्री गुप्तिसागरजी के निर्देशन में हो रहे हैं। वे ही हमारी टीम के कप्तान हैं। जब उनके अनुसरण पर कार्य हो रहे हैं, तो कोई और संत कैसे इन कामों में दखल दे सकता है। हमारा तो इरादा मेहमान को इंदौर से तीर्थ तक हेलिकॉप्टर से लाने का था, लेकिन कई ऐसे कार्यक्रम होते है जो आर्थिक कारणों से बदल जाते हैं। ऐसा ही पंचामृत अभिषेक के साथ भी हुआ।