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क्यों नहीं काटते हैं नाखून और बाल?
हठयोगियों के नाखून और बाल न काटने के पीछे कई धार्मिक और आध्यात्मिक कारण बताए जाते हैं:
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भगवान शिव का प्रतीक: हठयोगी भगवान शिव के उपासक होते हैं। भगवान शिव की जटाएं और उनका स्वरूप उनकी दिव्यता का प्रतीक हैं। इसी प्रकार, हठयोगी भी अपने केशों को जटाओं में परिवर्तित करके भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण प्रकट करते हैं। जटाओं को काटना भगवान शिव के अपमान के समान माना जाता है।
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शारीरिक मोह का त्याग: हठयोगियों का मानना है कि नाखून और बाल काटना शारीरिक मोह को दर्शाता है। हठयोग में शरीर के प्रति हर प्रकार के लगाव को छोड़ने का नियम है। इसलिए, वे अपने शरीर के रखरखाव पर ध्यान नहीं देते हैं।
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आध्यात्मिक ऊर्जा का संरक्षण: कुछ हठयोगियों का मानना है कि नाखून और बालों में आध्यात्मिक ऊर्जा का वास होता है। इसलिए, इन्हें काटने से उस ऊर्जा का ह्रास होता है।
महाकुंभ के दौरान हठयोगी बड़ी संख्या में प्रयागराज में संगम के तट पर आते हैं। वे यहाँ अपनी तपस्या को और अधिक सिद्धि प्रदान करने के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं। महाकुंभ में स्नान और संगम में डुबकी लगाने से उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा और भी बढ़ जाती है।
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