जैन धर्म के अनुसार हिंसा और परिग्रह दो ऐसी विषैली चीजें हैं, जो हर जगह अपना जाल बिछाकर मनुष्य को धर्म के रास्ते से भटका देती हैं। अत: पर्युषण महापर्व मनुष्य के चित्त को शुद्ध करने का कार्य करता है। महापर्व पर्युषण के दौरान सभी 24 तीर्थंकरों के तत्व ज्ञान का चिंतन-मनन किया जाता है।