Acharya Shri Vidyasagarji Maharaj: जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने तीन दिन उपवास के बाद समाधिपूर्वक संलेखना ली है। उन्होंने 18 फरवरी 2024, तदनुसार माघ शुक्ल अष्टमी को देर रात 2.30 मिनट पर छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ पर समाधि ले ली। जैन संत आचार्यश्री 108 विद्यासागर जी महाराज भारत भूमि के प्रखर तपस्वी, चिंतक, कठोर साधक, लेखक तथा विश्व-वंदनीय संत रहे हैं।
आइए जानते हैं यहां आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का जीवन परिचय...
आचार्यश्री का जीवन परिचय।
पूर्व नाम : श्री विद्याधर जी
पिताश्री : श्री मल्लप्पाजी अष्टगे (मुनिश्री मल्लिसागरजी)
माताश्री : श्रीमती श्रीमंतीजी (आर्यिकाश्री समयमतिजी)
भाई/बहन : चार भाई, दो बहन
जन्म स्थान : चिक्कोड़ी (ग्राम- सदलगा के पास), बेलगांव (कर्नाटक)
जन्मतिथि : आश्विन शुक्ल पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) वि.सं. 2003, 10-10-1946, गुरुवार, रात्रि में 12.30 बजे।
जन्म नक्षत्र : उत्तरा भाद्रपद।
मातृभाषा : कन्नड़।
शिक्षा : 9वीं मैट्रिक (कन्नड़ भाषा में)
ब्रह्मचर्य व्रत : श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, चूलगिरि (खानियाजी), जयपुर (राजस्थान)
प्रतिमा : सात (आचार्यश्री देशभूषणजी महाराज से)
स्थल : 1966 में श्रवणबेलगोला, हासन (कर्नाटक)
मुनि दीक्षा स्थल : अजमेर (राजस्थान)
मुनि दीक्षा तिथि : आषाढ़ शुक्ल पंचमी, वि.सं. 2025, 30-06-1968, रविवार
आचार्य पद तिथि : मार्गशीर्ष कृष्ण द्वितीया- वि.सं. 2029, दिनांक 22-11-1972, बुधवार
आचार्य पद स्थल : नसीराबाद (राजस्थान) में, आचार्यश्री ज्ञानसागर जी ने अपना आचार्य पद प्रदान किया।
समाधिपूर्वक संलेखना : 18 फरवरी 2024, तिथि माघ शुक्ल अष्टमी।
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।