दसलक्षण महापर्व (dashlakshana mahaparv) एक ऐसा पर्व है जिसमें आत्मा भगवान में लीन हो जाती है। यह एक ऐसी क्रिया, ऐसी भक्ति और सुध-बुध खोकर, अन्न-जल तक ग्रहण करने की सुध नहीं रहती है। इन 10 दिनों में कई धर्मावलंबी भाई-बहनें 3, 5 या 10 दिनों तक तप करके अपनी आत्मा का कल्याण करने का मार्ग अपनाते हैं। जैन धर्म में दशलक्षण पर्व का बहुत महत्व है। इसे 'पयुर्षण पर्व' भी कहा जाता है। इन 10 दिनों के दौरान धर्म पर अधिक से अधिक ध्यान दिया जाता है, क्योंकि यह आत्मशुद्धि करने का पर्व है, जो कि 10 दिनों तक मनाया जाता है। इसके साथ ही अंतिम दिन क्षमावाणी पर्व के रूप में मनाया जाता है।