श्वेतांबर मान्यता के अनुसार माता त्रिशला ने भगवान के जन्म के पूर्व जो 14 महास्वप्न देखे थे, वे 14 रजत स्वप्न आकाश मार्ग से उतारे जाएंगे। स्थानक भवन में विराजित साध्वी मंडल भगवान महावीर के जन्म उत्सव का विवरण व माता त्रिशला को आए 14 सपनों के महत्व को प्रतिपादित कर अपने विचार व्यक्त करेंगे।
बाल प्रभु महावीर को पालने में झुलाया जाएगा तथा रात्रि जागरण होगा। शाम को भगवान महावीर की 108 दीपकों से आरती होगी। पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के 5वें दिन देश-विदेश में भी भगवान महावीर का जन्म वाचन समारोह (महोत्सव) मनाया जाएगा। नाटय प्रस्तुति के माध्यम से राजा सिद्धार्थ को पुत्र रत्न की प्राप्ति पर बधाई कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा।