इस दौरान लोग पूजा-अर्चना, आरती, समागम, त्याग-तपस्या, उपवास आदि में अधिक से अधिक समय व्यतीत करते हैं। पर्युषण पर्व के आखिरी दिन 'मिच्छामी दुक्कड़म' कहने की परंपरा है। इसमें हर छोटे-बड़े से 'मिच्छामी दुक्कड़म' कहकर क्षमा मांगते हैं। इस पर्व का आखिरी दिन क्षमावाणी दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसमें हर किसी से 'मिच्छामी दुक्कड़म' कहकर क्षमा मांगते हैं।