उन्होंने रीगल चौराहे पर ‘संथारा’ के समर्थन में किए गए प्रदर्शन के दौरान कहा कि कोई व्यक्ति आमतौर पर आत्महत्या तब करता है, जब वह किसी दु्:ख या मजबूरी से घिरा हो, जबकि जैन समुदाय में संथारा के जरिए प्राण त्यागने का फैसला स्वेच्छा से और सबके सामने किया जाता है।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 अगस्त को ‘संथारा’ को अवैध करार दिया था। इसके साथ ही, जैनों की इस धार्मिक प्रथा को भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) तथा धारा 309 (आत्महत्या का प्रयास) के तहत दंडनीय बताया था। (भाषा)