21 अगस्त, शुक्रवार को दिगंबर जैन समाज में रोट तीज पर्व मनाया जा रहा है। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते मंदिरों में भीड़ नहीं होगी। इस दिन सभी धर्मावलंबी मंदिरों में बैठकर ही श्री रोटतीज व्रत का पूजन एवं कथा का श्रवण एवं पाठ करते हैं, लेकिन इस बार यह संभव नहीं हो पाएगा। अत: देश-विदेश में बैठे सभी पाठकों की सुविधा को ध्यान रखते हुए श्री रोटतीज व्रत की कथा एवं पूजन विधि यहां प्रस्तुत हैं। आइए पढ़े...
रोट तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, हिन्दू धर्मानुसार इस दिन हरतालिका तीज पर्व मनाया जाता है। जैन धर्म में रोट तीज व्रत का बहुत महत्व है। यह व्रत करने से मानसिक शांति मिलती है। आइए जानें रोट तीज व्रत कब और कितने समय तक करें, व्रत का महत्व एवं पूजन...
रोट तीज व्रत :
व्रतारंभ तिथि- भाद्रपद शुक्ल तृतीया
व्रतावधि- चौबीस वर्ष, बारह वर्ष या तीन वर्ष
व्रत विधि- उपवास या रस त्यागपूर्वक एकाशन शक्तिनुसार
* रोट तीज व्रत मानसिक शांति के प्रबल निमित्त हैं।
* व्रत मोक्ष महल की सीढ़ी है।
* व्रत मन-वचन-काय की पवित्रता के साक्षात कारण हैं।
* व्रत ही शाश्वत लक्ष्य की कुंजी है।
* व्रत मानव पर्याय के लिए उपहार हैं।
* परिणाम विशुद्धि व्रताचरण से ही संभव है।
* व्रतों के पूर्ण फल सम्यक् विधि से ही प्राप्त होता है, मात्र उपवास (लंघन) से नहीं।
* व्रतों के बिना मानव जीवन अधूरा है।
* व्रत साधना है, मनौती नहीं।
* व्रतों के प्रति अरुचि/ प्रमाद/ अवमानना का भाव नहीं करना चाहिए।
श्री चौवीसी रोट तीज व्रत पूजा कैसे करें
आज दिगंबर जैन धर्मावलंबियों का रोट तीज पर्व है। इस अवसर पर दिगंबर जैन मंदिरों में 24 तीर्थंकरों की पूजा-अर्चना की जाएगी। चौबीसी का पूजा विधान किया जाएगा। इस दिन जैन धर्म की महिलाएं रोट तीज का उपवास रखकर दिनभर पूजा-अर्चना करेंगी। इस पर्व पर जैन मंदिरों में रोट, घी, खीर, तुरई की सब्जी/रायता समेत कई पकवान बनाकर चढ़ाएं जाएंगे।
यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत है रोट तीज व्रत का पूजन पाठ...