मुके कुसुमांजलि सुरा, वीर चरण सुकुमाल। ते कुसुमांजलि भविकनां पाप हरे त्रण काल ॥11॥
(नमोऽर्हत् बोलना)
॥ कुसुमांजलि ढाल ॥
विविध कुसुमवर जाति गहेवी, जिनचरणे पणमंत ठवेवी। कुसुमांजलि मेलो वीर जिणंदा ॥12॥
॥ वस्तुछंद ॥
न्हवण काले, न्हवण काले, देवदाणव समुच्चिय, कुसुमांजलि तहि संठविय, पसरंत दिसि परिमल सुगंधिय, जिनपयकमले निवडेइ विग्घहर जस नाम मंतो। अनंत चउवीस जिन, वासव मलीय असेस, सा कुसुमांजलि सुहकरो, चउविह संघ विशेष, कुसुमांजलि मेलो चौवीस जिणंदा ॥13॥
(नमोऽर्हत् बोलना)
॥ कुसुमांजलि ढाल ॥
अनंत चउवीसी जिननी जुहारुं, वर्तमान चउवीसी संभारुं। कुसुमांजलि मेलो चौबीस जिणंदा ॥14॥
॥ दोहा ॥
महाविदेहे संप्रति, विहरमान जिन वीश। भक्ति भरे ते पूजिया, करो संग सुजगीश ॥15॥
(नमोऽर्हत् बोलना)
॥ कुसुमांजलि ढाल ॥
अपछर मंडली गीत उच्चारा, श्री शुभ वीरविजय जयकारा। कुसुमांजलि मेलो सर्व जिणंदा ॥16॥
(बाद में स्नात्रीया तीन खमासमण देकर 'जगचिंतामणी' से लेकर संपूर्ण 'जयवीराय' तक चैत्यवंदन करें। बाद में हाथ को धूप से पवित्र कर के मुखकोश लगाकर कलश हाथ में लेकर खड़े रहकर कलश कहना)