सूत्रों ने बताया कि बर्खास्त किए गए लोगों में एक डॉक्टर, एक पुलिस कांस्टेबल, एक शिक्षक और उच्च शिक्षा विभाग में एक लैब बियरर शामिल हैं। उन्हें भारत के संविधान के 311 (2) (सी) का उपयोग करके यूटी प्रशासन द्वारा बर्खास्त कर दिया गया है, जो इसे बिना किसी जांच के ऐसा करने का अधिकार देता है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बर्खास्त किए गए लोगों में डॉ. निसार-उल-हसन (डॉक्टर), सलाम राथर (उच्च शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला प्रभारी), अब्दुल मजीद भट (कांस्टेबल) और फारुक अहमद मीर (शिक्षक) शामिल हैं। अधिकारियों ने खुलासा किया कि यह आतंकवादी पारिस्थितिकी तंत्र और इसके प्रमुख हितधारकों के खिलाफ यूटी प्रशासन के युद्ध का हिस्सा है जिन्हें अतीत में विभिन्न रंगों के राजनीतिक शासनों द्वारा गुप्त रूप से सरकारी तंत्र में शामिल किया गया था।
और भी कर्मचारी होंगे सेवा से बर्खास्त : इस बीच प्रदेश प्रशासन ने और उन सरकारी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने का मन बना लिया है जिनके प्रति उसे शक है कि वे आतंकी तथा राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में कथित तौर पर लिप्त हैं। इसकी खातिर उसने वर्ष 2018 के बाद भर्ती हुए सभी सरकारी कर्मचारियों व अफसरों की सीआईडी जांच करवाने का जो निर्देश जनवरी में दिया था, उसके परिणाम आने शुरू हो गए हैं और उसके आधार पर अभी तक 100 के करीब कर्मियों को सरकारी नौकरियों से बाहर निकाला जा चुका है जबकि 150 से 200 के बीच कर्मियों को अगले कुछ दिनों में ऐसी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
जानकारी के लिए सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए कई कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त कर दिया है। सेवा के नियमों में संशोधन यही सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि नई नियुक्तियों पर तैनात कर्मचारियों के रिकॉर्ड जांच लिए जाएं कि कहीं वे किसी तरह के आपराधिक मामलों में संलिप्त तो नहीं रहे हैं।