जम्मू। जिस अमरनाथ यात्रा से जम्मू-कश्मीर प्रशासन इस बार नाउम्मीद हुआ है, वह अब 11 अगस्त को यात्रा की प्रतीक छड़ी मुबारक की स्थापना के साथ ही समाप्त हो जाएगी। इतना जरूर था कि इस बार के अनुभव के चलते प्रशासन ने अनेक संस्थाओं के उस सुझाव पर विचार करने का फैसला जरूर किया है जिसमें कई सालों से यात्रा की अवधि को घटाकर 1 माह करने के लिए कहा गया है।
पर ऐसा हुआ नहीं। हालांकि इसके लिए मौसम को अधिक दोषी ठहराया जा रहा है। पर पिछले कई सालों की यह परंपरा बन चुकी है कि यात्रा के प्रतीक हिमलिंग के पिघलने के उपरांत यात्रा हमेशा ढलान पर रही है और श्राइन बोर्ड की तमाम कोशिशों के बावजूद हिमलिंग यात्रा के शुरू होने के कुछ ही दिनों के उपरांत पूरी तरह से पिघल-पिघल जाता रहा है।
ऐसे में श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार यात्रा की अवधि पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता आन पड़ी है। दरअसल कई सालों से जबसे यात्रा की अवधि को 2 से अढ़ाई माह किया गया है, कई संस्थाओं ने इसे घटाने के सुझाव दिए हैं। लंगर लगाने वाली संस्थाओं ने इसे घटाकर 25 से 30 दिनों तक ही सीमित करने का आग्रह कई बार किया है।
अगर देखा जाए तो यात्रा की अवधि कम करने की बात पर्यावरण विभाग और अलगाववादी भी पर्यावरण की दुहाई देते हुए अतीत में करते रहे हैं। पर अब अधिकारियों को लगने लगा है कि हिमलिंग के पिघल जाने के उपरांत यात्रा में श्रद्धालुओं की शिरकत को जारी रख पाना संभव नहीं है, जब तक कि हिमलिंग को सुरक्षित रखने के उपाय नहीं ढूंढ लिए जाते।