Nyoma Airbase: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) द्वारा वर्चुअली लद्दाख में दुनिया के सबसे ऊंचे एयरबेस न्योमा (airbase Nyoma) के नींव पत्थर रखने के बाद चीन की त्योरियां चढ़ गई हैं। रक्षा विशेषज्ञों को आशंका है कि भारत सरकार के इस फैसले के बाद चीन सीमा (China border) पर तनातनी का माहौल और बढ़ेगा।
राजनाथ सिंह ने जम्मू में आज मंगलवार को वर्चुअली इस एयरबेस की नींव पत्थर रखा था। सरकार ने यह घोषणा की है कि चीन के साथ एलएसी पर चल रही तनातनी को देखते हुए इसका निर्माण सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ करेगा।
दरअसल पिछले कुछ अरसे से भारत पूर्वी लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ), फुकचे और न्योमा सहित कई एयरबेस बनाने के विकल्पों पर विचार कर रहा था, जो चीन के साथ एलएसी से कुछ ही मिनटों की दूरी पर है। न्योमा एएलजी से अपाचे हमले के हेलीकॉप्टरों, चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टरों और एमआई 17 हेलीकॉप्टरों से गरुड़ स्पेशल फोर्स का संचालन चीनी सेना द्वारा घुसपैठ के बाद से किया जा रहा है।
न्योमा एएलजी का सामरिक महत्व : दरअसल, एलएसी के निकट होने के कारण न्योमा एएलजी का सामरिक महत्व है। यह लेह हवाई क्षेत्र और एलएसी के बीच महत्वपूर्ण अंतर को पाटता है जिससे पूर्वी लद्दाख में जवानों और सामग्री की त्वरित आवाजाही को सक्षम बनाता है जिससे कि इलाके की कठिनाइयों को पार किया जा सके।
218 करोड़ की लागत आएगी : न्योमा 13 हजार 700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी कुल लागत 218 करोड़ रुपए आने जा रही है। यह हवाई क्षेत्र तैयार होने के बाद यहां से भारतीय वायुसेना के लड़ाकू जहाज चीन का मुकाबला करने के लिए हमेशा चुस्त और तैयार रहेंगे।
चीन की आंख में आंख डालेंगे : चीन की आंख में आंख डालकर उसकी नश्तर तक उतरने के लिए न्योमा का यह एयरबेस काफी होगा। न्योमा के इस एयरबेस से भारतीय वायुसेना को रणनीतिक तौर पर काफी फायदा होगा। इस एयरफील्ड की खासियत ये है कि चीन यहां से सिर्फ 35 किलोमीटर दूर है। अगले 3 साल के भीतर यहां वायुसेना का एयरबेस तैयार होगा।
इस नए फाइटर एयरबेस पर करीब 218 करोड़ की लागत आएगी। ये दुनिया का सबसे ऊंचा एयरबेस होगा। यहां होने का मतलब वो सामरिक मजबूती है जिसकी चीन के खिलाफ भारत को जरूरत थी। अभी फुकचे, दौलत बेग ओल्डी और न्योमा में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड हैं, जहां सिर्फ ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ही उड़ान भर सकते हैं। अब न्योमा में फाइटर बेस बनने से वायुसेना की बढ़ी हुई ताकत का एक और पैमाना होगा।
लद्दाख का तीसरा फाइटर एयरबेस : यह लद्दाख का तीसरा फाइटर एयरबेस होने जा रहा है। फिलहाल लद्दाख में लेह और परतापुर में 2 फाइटर एयरफील्ड हैं, जहां से फाइटर ऑपरेशन होते हैं। बीते 3 साल से खासकर चीन से जो टकराव चल रहा है, उसमें इस एयरबेस का बनना काफी अहम बात है। इसकी तैयारी भर से बातचीत की मेज पर भारत का दावा कुछ और मजबूत हो जाएगा।
योजना के अनुसार नए हवाई क्षेत्र और सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण सीमा सड़क संगठन द्वारा किया जाएगा। इस क्षेत्र से लड़ाकू विमानों के संचालन की क्षमता से वायुसेना की विरोधियों द्वारा किसी भी दुस्साहस से तेजी से निपटने की क्षमता मजबूत होगी।