जम्मू। बाहरी मतदाताओं को जम्मू कश्मीर की मतदाता सूचियों में शामिल करने की घोषणा को लेकर बवाल मचा हुआ है। सच्चाई यह है कि धारा 370 के हटने से पहले भी ऐसे 32 हजार से अधिक मतदाता सिर्फ संसदीय चुनावों में मतदान करते रहे हैं क्योंकि जम्मू कश्मीर जनप्रतिनिधि कानून 1957 के तहत उन्हें विधानसभा चुनावों में मतदान का अधिकार नहीं था।
जम्मू कश्मीर के चीफ इलेक्ट्रोल आफिसर हृदेश कृमार ने भी इस घोषणा पर मचे बवाल को थामने की कोशिश करते हुए कहा है कि यह घोषणा भारत के निवासियों को संविधान में प्राप्त अधिकारों के मुताबिक है और इसके पीछे जम्मू कश्मीर की डेमोग्राफी बदलने का कोई इरादा नहीं है। उनका कहना था कि धारा 370 के पूरी तरह से हट जाने के उपरांत जम्मू कश्मीर जनप्रतिनिधि कानून 1957 भी पूरी तरह से खत्म हो चुका है।